Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कविता : सियार की शादी

हमें फॉलो करें कविता : सियार की शादी

शम्भू नाथ

चूहा आता ढोल बजाते।
बिल्ली तान लगाती है।
मेंढक बाबा फुदक के चलते।
छू-छू गीत सुनाती है।
 
 

 
 
कुत्ता बाबू भौं-भौं करके।
डांस खूब दिखाते हैं।
बगुला भगत बैठ खटिया पर।
बहुत मिठाई खाते हैं।
 
दूल्हा बना सियार आता है।
संग जंगल की मोड़ी है।
छम-छम पायल बजे झींगुर के।
सात रंग की घोड़ी है।
 
कौआ-चमगादड़... बने घराती।
कोयल गाने गाती है।
उल्लू मामा बन के घूमे।
टोपी सर पर भाती है।
 
बहुत बारात आई दरवाजे।
गधा हुक्म सुनाता है।
धोती बांधे भालू दादा।
दौड़ा-दौड़ा आता है।
 
गाजे-बाजे जमकर बजाते।
खूब तमाशे चलते हैं।
बंदर मौसा हैं दूल्हे के।
बहुत चिलबिली करते हैं।
 
दुल्हन बैठी घर में रोती।
सब सखियां समझाती हैं।
दूल्हे की सब करे बढ़ाई।
दुल्हन भी मुस्काती है।
 
चूहा आता ढोल बजाते।
बिल्ली तान लगाती है।
मेंढक बाबा फुदक के चलते।
छू-छू गीत सुनाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi