Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बाल गीत : चिड़िया सोच रही है...

हमें फॉलो करें बाल गीत : चिड़िया सोच रही है...
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

चिड़िया सोच रही है जाकर, 
रपट लिखा दें थाने में। 
 
कई दिनों की भूखी-प्यासी, 
मिला न दाना-पानी। 
बंद हुए छानी-छप्पर अब, 
हो गई बंद नहानी। 
पेड़ कट गए जो करते थे, 
मदद हमें ठहराने में। 
 
नाममात्र को रखे सकौरे, 
जो हैं खाली-खाली। 
पानी थोड़ा डाला होगा, 
पी गए ढोर-मवाली।
अन्न रोज बर्बाद कर रहे, 
हमें क्या मिला खाने में? 
 
पर्यावरण प्रदूषण पर तो, 
रोज हो रहा हल्ला। 
पर हम कितने कदम चले हैं, 
तुम्हीं बताओ लल्ला।
पड़ी ढेर सी स्कीमें हैं, 
वादों के तहखाने में। 
 
आसमान में घुला जहर है, 
धरती हुई विषैली। 
क्या उम्मीद करें लोगों से, 
सोच हो गई मैली। 
सेंध लग रही रोज हमारे,
खाने और ठिकाने में। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पेट की चर्बी कम करेगा यह योगासन, जानें विधि