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तुम्हारी कविता

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अगर

अगर एक कविता मैं लिख लूँ
तो उसको गा देना तुम
अगर एक लड्डू ले आऊँ
तो उसको खा लेना तुम

अगर एक बिल्ली मैं पालूँ
तो तुम उसे डराना मत
अगर कहीं बंदर बैठा हो
तो तुम उसे चिढ़ाना मत

अगर कहीं कोयल गाती हो
उसकी सुनना बोली तुम
अगर साथ खेले कोई
बनना उसके हमजोली तुम।

गाने गाते
रामधनी के घर जो आए
वे रहते हैं रामनगर
गाना गाते, शोर मचाते

आते फिर, दरवाजे पर
रामधनी के वे फूफा हैं

जाएँगे,अब दिल्ली वे
ले जाएँगे रामधनी की
भूरीवाली बिल्ली वे

बच्चे उनके साथ खेलते
कभी बैठते कंधे पर
खड़े हुए हैं साफा बाँधे
देखो वे छत के ऊपर।

- डॉ. श्रीप्रसाद, वाराणसी

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