चटपटी बाल कहानी : बुढ़िया और कद्दू
चल मेरे कद्दू टुनूक-टुनूक
बहुत पुरानी कहानी है। एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसकी बेटी की शादी उसने दूसरे गांव में की थी। अपनी बेटी से मिले बुढ़िया को बहुत दिन हो गए। एक दिन उसने सोचा कि चलो बेटी से मिलने जाती हूं। यह बात मन में सोचकर बुढ़िया ने नए-नए कपड़े, मिठाइयां और थोड़ा-बहुत सामान लिया और चल दी अपनी बेटी के गांव की ओर।
चलते-चलते उसके रास्ते में जंगल आया। उस समय तक रात होने को आई और अंधेरा भी घिरने लगा। तभी उसे सामने से आता हुआ बब्बर शेर दिखाई दिया। बुढ़िया को देख वह गुर्राया और बोला- बुढ़िया कहां जा रही हो? मैं तुम्हें खा जाऊंगा।
बुढ़िया बोली- शेर दादा, शेर दादा तुम मुझे अभी मत खाओ। मैं अपनी बेटी के घर जा रही हूं। बेटी के घर जाऊंगी, खीर-पूड़ी खाऊंगी। मोटी-ताजी हो जाऊंगी फिर तू मुझे खाना।
शेर ने कहा- ठीक है, वापसी में मिलना।