एक वन प्रदेश में एक बहुत बड़ा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकड़े आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसकी आंखें भी कुछ कमजोर थीं।
मछलियां पकड़ने के लिए तो मेहनत करनी ही पड़ती है, जो उसे खलती थी। इसलिए आलस्य के मारे वह प्रायः भूखा ही रहता। एक टांग पर खड़ा यही सोचता रहता कि क्या उपाय किया जाए कि बिना हाथ-पैर हिलाए रोज भोजन मिले।
एक दिन उसे एक उपाय सूझा तो वह उसे आजमाने बैठ गया।
बगुला तालाब के किनारे खड़ा हो गया और लगा आंखों से आंसू बहाने। एक केकड़े ने उसे आंसू बहाते देखा तो वह उसके निकट आया और पूछने लगा, 'मामा, क्या बात है, भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने की बजाय खड़े आंसू बहा रहे हो?'