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पेड़ों का महत्व

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हमें फॉलो करें पेड़ों का महत्व नन्ही दुनिया
साक्षी शाह

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'विवेक कहाँ हो बेटा? नाश्ता कर लो।' माँ की आवाज सुनकर विवेक आया और नाश्ता करके सो गया। विवेक की माँ भी सारा काम निबटा कर बगीचे में चली गई, पर वहाँ का दृश्य देखकर विवेक की माँ के तो होश उड़ गए। फूल इधर बिखरे हुए थे और पत्तियाँ उधर बिखरी हुई थीं। विवेक के पिताजी कल एक पौधा लाए थे वह भी जमीन पर पड़ा था।

विवेक रोज स्कूल से आता और बगीचे में जाकर पेड़ों को रौंदने लगता। कभी कच्चे जामफलों को अच्छा न लगने पर बगीचे में फेंक देता तो कभी सुगंधित फूलों को बड़ी बेरहमी से तोड़कर सड़क पर फेंक देता। विवेक के पिताजी कभी कोई नया पौधा लगाते तो उसे भी पनपने न देता। विवेक की माँ इससे बहुत परेशान रहती थी। उन्होंने विवेक को कई बार समझाया था पर उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगती थी।

एक दिन विवेक थका-माँदा विद्यालय से आया और भोजन कर सो गया। उसने सपने में देखा कि वह एक बंजर जमीन पर खड़ा था। वहाँ पर कोई हरियाली नहीं थी, न पीने को पानी था। विवेक वहाँ इधर-उधर घूमने लगा पर उसे वहाँ कोई इंसान या पक्षी नजर नहीं आया। वहाँ घूमते हुए उसे कुछ हड्‍डियाँ और नरकंकाल मिले यह सब देखकर विवेक बहुत डर गया और वह भागने लगा।

भागते-भागते उसे एक जगह कुछ घास उगी हुई दिखी। थोड़ा और आगे जाने पर उसे कुछ लोग मिले। वे बुरी तरह तड़प रहे थे। विवेक के पूछने पर उन्होंने बताया कि लोगों के पेड़ काटने से वर्षा नहीं होती और वर्षा न होने के कारण पीने का पानी भी नहीं मिलता। पेड़ मिट्‍टी के कटाव को भी रोकते थे।

वर्षा होने के कारण तापमान में ठंडक आती है अब पेड़ खत्म हो जाने के कारण सूर्य की तेज गरमी से हम झुलस गए हैं।' इन लोगों की दशा देखकर विवेक को रोना आ गया और तभी एक संत आए और उन्होंने विवेक के सिर पर हाथ रखकर कहा - 'विवेक, जहाँ तुम सबसे पहले गए थे वो उस समय का भविष्यकाल है, जब धरती पर रहने वाले जीव खत्म हो गए थे और जहाँ तुम अभी हो ये वो जगह है जहाँ लोग धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं और ये सब उन पेड़ों के काटने के कारण हो रहा है। अगर तुम पेड़ों को लगाओगे और दूसरों को भी इसकी शिक्षा दोगे तो हमारी पृथ्वी हमेशा हरी भरी रहेगी।'

इतना कहकर संत गायब हो गए। यह देख विवेक जोर-जोर से रोने लगा। अचानक उसे ऐसा लगा कि मुझे कोई हिला रहा है और उसकी नींद खुल गई। वहाँ उसकी माँ खड़ी थी। विवेक अपनी माँ से लिपट गया और बोला - 'माँ मैं अब पेड़ लगाऊँगा।' यह सुनकर माँ आश्चर्य में पड़ गई।

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