रोहन और हेमा ने स्कूल से आकर जैसे ही घर में प्रवेश किया कि बाहर के आंगन में एक चटाई पर दादाजी बैठे दिखे। उन्हें किसी काम में तल्लीन देखकर दोनों ठिठककर वहीं रुक गए।
हेमा ने कुछ कहना चाहा तो रोहन ने होठों पर अंगुली रखकर चुप रहने का इशारा किया। दोनों आंगन में रखी कार के पीछे छुप कर यह जानने का प्रयास करने लगे कि चटाई पर बैठे दादाजी आखिर क्या कर रहे हैं?
उन्होंने ध्यान से देखा कि दादाजी ने डस्टबीन का कचरा एक अखबार के ऊपर पलट रखा है और उस कचरे में से कुछ सामान बीन-बीन कर वे एक स्टील की प्लेट में रखते जा रहे हैं। डस्टबीन वहीं बगल में लुढ़की पड़ी है। हेमा ने धीरे से पूछा कि दादाजी यह क्या कर रहे हैं।