आखिर जिस बात का अंदेशा था वही हुआ। रमाकांत की म्रृत्यु के बाद उनके दोनों बेटों में ठन गई। मां रेवती के लाख समझाने पर भी राधाकांत पिताजी की जायदाद के बंटवारे की बात करने लगा।
छोटा बेटा कृष्णकांत वैसे तो खुलकर कुछ नहीं कह रहा था, परंतु बड़े भाई के व्यवहार से दुखी होकर उसने भी बंटवारे के लिए हामी भर दी। मकान का बंटवारा हो गया।