Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बाल और प्रेरक कहानियों की पुस्तक हितोपदेश की 10 खास बातें

हमें फॉलो करें बाल और प्रेरक कहानियों की पुस्तक हितोपदेश की 10 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी

बच्चों का मानसिक विकास कहानियां, चित्रकथाएं पढ़ने और पहेलियां सुलझाने के साथ ही माता-पिता और शिक्षकों से बेझिझक बातचीत करने से बढ़ता है। भारत में प्राचीनकाल से ही बच्चों के लिए कथा और कहानियों की कई पुस्तक लिखी गई। उन्हीं में से ऐक है हितोपदेश। आओ जानते हैं इस पुस्तक के बारे में।
 
 
हितोपदेश ( hitopadesha ) : 
1. भारत में रचित विश्‍वप्रसिद्ध किताब हितोपदेश का नाम सभी ने सुना होगा। भारतीय जनमानस और परिवेश से ओतप्रोत इस किताब में उपदेशात्मक कहानियां हैं। 
 
2. विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियां इसकी खास विशेषता हैं। 
 
3. हितोपदेश की सभी कथाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। 
 
4. यह मान्यता है कि हितोपदेश पढ़ने से मनुष्य की बोलचाल में प्रवीणता और वार्तालाप में विचित्रता आती है। 
 
5. हितोपदेश के रचयिता नारायण पंडित हैं। नारायण पंडित ने पंचतंत्र तथा अन्य नीति के ग्रंथों की मदद से इस अद्भुत ग्रंथ हितोपदेश का सृजन किया। इसके आश्रयदाता बंगाल के माण्डलिक राजा धवलचंद्रजी हैं। नारायण पंडित राजा धवलचंद्रजी के राजकवि थे। 
 
6. मूल रूप से संस्कृत में लिखी गई इस किताब की रचना तीसरी शताब्दी के आस-पास निर्धारित की गई है। 
 
7. हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख 1373 ई. का प्राप्त है। गढ़वाल विश्वविद्यालय के श्री वाचस्पति गैरोला ने इसका रचनाकाल 14वीं शती के आसपास निर्धारित किया है।
 
8. हितोपदेश की कथाओं के 4 भाग- मित्रलाभ, सुहृद्भेद, विग्रह और संधि हैं। इन 4 भागों में विभिन्न प्रकार के नीति ग्रंथों का सार समाया हुआ है। 
 
9. हितोपदेश में कुल 41 कथाएं और 679 नीति-विषयक पद्य हैं।
 
10. हितोपदेश की कथाओं में अर्बुदाचल (आबू) पाटलीपुत्र, उज्जयिनी, मालवा, हस्तिनापुर, कान्यकुब्ज (कन्नौज), वाराणसी, मगध देश, कलिंग देश आदि स्थानों का उल्लेख है जिसमें रचयिता तथा रचना की उद्गम भूमि इन्हीं स्थानों से प्रभावित है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बाल कविता : धूप कब की जा चुकी