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प्रेरक कहानी : सच्ची मां 'मदर टेरेसा'

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नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा अपने नाम के अनुरूप वास्तव में एक सच्ची मां थीं।

एक दिन वे लंदन से आए एक डॉक्टर को निर्मल हृदय (जहां कुष्ठ रोगियों का इलाज किया जाता था) का अवलोकन करा रही थीं, तभी एक ऐसे कुष्ठ रोगी को वहां लाया गया, जिसके शरीर पर कई जगह घाव हो गए थे और उन घावों से खून और मवाद बह रहा था। 

मदर टेरेसा लंदन से आए डॉक्टर को वहीं छोड़कर तुरंत उस रोगी के पास पहुंची और उसके घावों को अपनी साड़ी के पल्लू से पोंछने के बाद उन पर अपने हाथों से दवाई लगाने लगीं। 
 
तब तक वे डॉक्टर महोदय भी वहां पहुंच गए, मदर को कुष्ठ रोगी के घावों पर दवाई लगाते हुए देखकर उन्होंने कहा, 'मदर आप घावों पर दवाई लगाने से पहले कम से कम अपने हाथों पर दस्ताने तो पहन लेतीं।' 
 
मदर टेरेसा ने डॉक्टर से तुरंत प्रश्न किया, 'अगर आपका बेटा इस स्थिति में आपके पास लाया जाता, तो क्या आप उसके घावों पर दवाई लगाने के लिए दस्ताने पहनने तक का इंतजार करते?'


ऐसी मां थीं मदर टेरेसा।

सीख : हमेशा दूसरों की मदद करने का भाव हमारे मन में अवश्य होना चाहिए। 

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