दो पतंगें थीं। एक गुलाब की तरह लाल और दूसरी काले रंग की। दोनों पतंगें कागज की बनी हुई थीं और डोर के सहारे आकाश में उड़ती थीं। पर उन दोनों के स्वभाव में जमीन-आसमान का अंतर था। जहां काली पतंग मिल-जुलकर रहने वाले स्वभाव की थी, वहीं लाल पतंग घमंड से भरी झगड़ालू किस्म की थी।
एक दिन आसमान में कुछ पक्षी भी उड़ रहे थे। उन्होंने अपने बीच लाल पतंग को उड़ते देखा तो दोस्ती करने उसके पास आ गए।
'हटो-हटो, दूर हटो। मेरे नजदीक नहीं आना। वरना मैं तुम्हें गिरा दूंगी।' लाल पतंग ने उनको दुत्कारते हुए कहा, 'तुम्हारे शरीर कितने भद्दे हैं।'
'ऐसा मत बोलो, बहन। तुम्हें अपने बीच पाकर हम बहुत खुश हैं। आओ, मिलकर साथ-साथ उड़ें।' पक्षियों ने उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।
लेकिन लाल पतंग पर तो अपने रूप का घमंड छाया हुआ था। उसने दो-तीन पक्षियों को अपनी डोर के वार से घायल कर दिया। जब वे फड़फड़ाते हुए नीचे गिरने लगे तो लाल पतंग जोर-जोर से हंसने लगी। यह देखकर बाकी पक्षी डरकर भाग गए।
इस घटना के बाद तो लाल पतंग की हरकतें और भी बढ़ गईं। वह पक्षियों से झगड़ती और उन्हें घायल करके खुश होती। एक दिन काली पतंग आसमान में दिखाई दी। उसे देखकर पक्षी फिर से डरकर भागने लगे।
'डरो नहीं दोस्तो, मैं तुम्हारी नई दोस्त हूं। आओ, मिलकर साथ-साथ उड़ें।' काली पतंग ने मीठी आवाज में कहा तो पक्षी डरते-डरते रुक गए।
'पहले ही उस घमंडी लाल पतंग ने हमारा जीना मुश्किल कर रखा है, ऊपर से तुम और आ गई हो। लगता है, हमें अपना आसमान छोड़ना पड़ेगा।' कुछ पक्षियों ने सहमते हुए कहा।
'सभी एक जैसे नहीं होते, दोस्तो। मेरा विश्वास करो। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी।' काली पतंग बोली तो पक्षियों ने राहत की सांस ली।
पक्षियों की काली पतंग से दोस्ती हो गई। उन्हें उसके साथ उड़ना बहुत अच्छा लगता था। उधर लाल पतंग खुद को सबसे सुंदर समझने के कारण अलग रहती।
एक दिन एक ओर काली पतंग पक्षियों के साथ उड़ रही थी तो दूसरी ओर लाल पतंग अकेली थी। तभी उधर से एक काला बादल गुजरा।
काली पतंग उसे देखकर मुस्कुराकर बोली, 'नमस्ते बादल भैया, आज बड़े खुश नजर आ रहे हो?'
'हां बहना, बहुत दिन हो गए कहीं बरसा नहीं हूं। लेकिन अभी कुछ दिनों से वायुमंडल में कम दबाव का क्षेत्र बन गया है इसलिए मजबूरी में कहीं-न-कहीं मुझे बरसना होगा। और जब बरसने का समय आता है मैं बहुत खुश रहता हूं।' बादल ने खुशी से झूमते हुए कहा।
'हमारा भी अभिवादन स्वीकार करो, बादल भैया।' काली पतंग के साथ उड़ रहे सभी पक्षियों ने एकसाथ कहा।
'तुम सबको नमस्ते, दोस्तो। आज काली पतंग बहना के साथ उड़ रहे हो, कितना अच्छा लग रहा है। हमेशा ऐसे ही मिल-जुलकर रहना।' बादल ने सबको समझाते हुए कहा।
तभी बादल की नजर लाल पतंग पर गई। वह अकेले ही उड़ रही थी। बादल ने उसे पुकारा, 'ओ लाल पतंग बहन, अकेले उड़ने में कोई मजा नहीं है। इन सबके साथ उड़ो मजा आएगा।'
लाल पतंग को गुस्सा आ गया। बोली, 'अरे काले-कलूटे बादल मुझे मत सिखा। मजा कैसे आता है मैं अच्छी तरह जानती हूं।'
'बादल भैया की इज्जत करो, बहन। इस तरह घमंड नहीं किया करते।' काली पतंग ने समझाया।
लाल पतंग इतराकर बोली, 'काले, बदसूरत बादल की मैं इज्जत क्यों करूंगी। वह क्या मुझसे सुंदर है। देखो तो मैं कितनी खूबसूरत हूं। किसी गुलाब की तरह।'
यह सुनकर काले बादल को गुस्सा आ गया। वह इतने जोर से गरजा कि उसकी आवाज दूर-दूर तक फैल गई। उसने काली पतंग और पक्षियों से कहा, 'जरा तुम लोग कुछ दूर हट जाओ। आज तो मेरे को बरसना ही है। मैं इस घमंडी पतंग को मजा चखाता हूं।'
पक्षियों ने बीच-बचाव करना चाहा लेकिन काला बादल नहीं माना। मजबूर होकर काली पतंग ने लाल पतंग से कहा, 'अरे, अभी भी वक्त है। माफी मांग ले, वरना तेरी खैर नहीं।'
लाल पतंग ने कहकहा लगाकर कहा, 'मैंने कहा न, तू बड़ी डरपोक है। उसकी गीदड़भभकी से तू भी डर गई?'
काली पतंग और सभी पक्षी कुछ दूर हट गए और उड़ते रहे। बादल ने बरसना शुरू किया। रिमझिम... रिमझिम... पलक झपकते ही लाल पतंग गीली होकर गिरने लगी। आसमान से नीचे गिरती लाल पतंग को अपनी भूल का एहसास हो गया था, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।