Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बाल कहानी : देशभक्त सेनापति

हमें फॉलो करें बाल कहानी : देशभक्त सेनापति
- नरेन्द्र देवांगन 

 
हिन्द वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी मिल-जुलकर रहते थे। वन के राजा सिंह न्यायप्रिय एवं कोमल हृदय के थे। वहां का सेनापति चीता था। वह बहुत बुद्धिमान एवं पराक्रमी था। 
 
राजा सिंह बूढ़ा हो गया था इसलिए वन के सभी कार्यों की देखरेख सेनापति चीता ही करता था। 
 
गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाने के लिए राजा सिंह ने एक सभा बुलाई थी। इस सभा में वन के पशु-पक्षी एक-दूसरे से विचार-विमर्श कर रहे थे।
 
तभी एक गौरेया उड़ती हुई आई और नीम पेड़ की डाल पर बैठकर सेनापति चीते से बोली, 'हमारे जंगल पर दुश्मनों की नजर लगी है।'
 
उसकी बात सुनकर सेनापति आश्चर्य में पड़ गया। 
 
गौरेया ने आगे बताया, 'पाक वन का राजा शेर हमारे जंगल पर आक्रमण करने वाला है।'
 
'तुम्हें कैसे पता चला कि वह भारत वन पर आक्रमण करेगा?' सेनापति ने सवाल किया।
 
गौरेया बोली, 'हमारे जंगल की लोमड़ी किसी अजनबी लोमड़ी से बात कर रही थी। अजनबी लोमड़ी कह रही थी कि पाक वन का राजा शेर हिन्द वन पर आक्रमण करने की पूरी तैयारी कर चुका है।'
 
सेनापति के बताने पर राजा सिंह ने एक गोपनीय सभा बुलाई। सभा में कुछ बुद्धिमान एवं विश्वासपात्र पशु-पक्षी थे। सेनापति ने सभी को आने वाली मुसीबत के संबंध में बताया।
 
बंदर बोला, 'हमारा जंगल चारों ओर से कंटीले तारों से घिरा हुआ है। दुश्मन भला कैसे घुस सकते हैं?'
 
पर भालू ने बताया, 'वह तो ठीक है पर जंगल के पूर्वी ओर एक कोना ऐसा भी है, जहां के कंटीली तारों को पाक वन के जानवर चुराकर ले गए हैं। वहां से सैकड़ों जानवर एकसाथ घुस सकते हैं।' 
 
 

सेनापति चीते ने कहा, 'कुछ भी हो, हम अपने जंगल को गुलामी से बचाकर रहेंगे। चाहे हमें अपनी जान ही क्यों न गंवानी पड़े।'

webdunia

 
'क्या हम मकड़ियां अपने वतन के कुछ काम आ सकती हैं?' एक मकड़ी ने पूछा। 
 
सेनापति ने कहा, 'हां, जंगल के पूर्वी कोने से ही आक्रमण होने की आशंका है इसलिए तुम सभी मकड़ियां पूर्वी कोने की पूरी जमीन पर मजबूत जाले बना डालो।'
 
मकड़ी ने अपना सिर झुकाते हुए कहा, 'जी, हम यह कार्य अभी से शुरू कर देते हैं।' 
 
सेनापति उत्साहित होकर बोला, 'तुम अपना काम शुरू करो। जब तक तुम्हारा कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक दुश्मन की सेना का मुकाबला मैं खुद करूंगा। मैं इस जंगल का सेनापति हूं इसकी रक्षा करना मेरी जिम्मेदारी है।'
 
राजा सिंह दहाड़े, 'हम बूढ़े हैं तो क्या हुआ? हम भी दुश्मन का डटकर मुकाबला करेंगे।' 
 
'हम सब साथ हैं', सभी पशु-पक्षी चिल्ला उठे।
 
एक दिन बाद आधी रात को जानवरों का एक बड़ा-सा झुंड हिन्द वन की ओर तेजी से आता हुआ दिखाई दिया। आगे राजा शेर था तथा उसके पीछे बहुत सारे जानवर थे।
 
सेनापति चीता पहले से ही तैयार था, उसने अपने साथियों को संकेत दिया। 
 
राजा सिंह दहाड़े, 'साथियों, टूट पड़ो दुश्मन की सेना पर।'
 
फिर क्या था। सेनापति चीता और उसके साथी बहादुरी से लड़ने लगे। उन्होंने दुश्मन की सेना का डटकर मुकाबला किया, परंतु वे दुश्मन की विशाल सेना के सामने अधिक देर नहीं टिक सके। दुश्मन तेजी से हिन्द वन की सेना को रौंदते हुए आगे बढ़ने लगे।
 
मकड़ियां तब तक अपना काम कर चुकी थीं। दुश्मनों ने जैसे ही हिन्द वन की सरजमीं पर अपने पैर रखे, वैसे ही सबके पैर मजबूत जालों में फंस गए। वे एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे। हिन्द वन के सिपाहियों ने उन्हें पकड़कर बंदी बना लिया। 
 
हिन्द वन गुलाम होने से बच गया। सभी पशु-पक्षी खुश थे, किंतु उनके बीच अपनी कामयाबी का जश्न मनाने के लिए सेनापति चीता मौजूद नहीं था। वह देश के लिए शहीद हो चुका था।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi