वेदों का सार हैं उपनिषद। उपनिषद का सार है गीता। उपनिषद वेदों के अंतिम भाग हैं अतः इन्हें वेदांत भी कहते हैं। उपनिषदों में कई रोचक और शिक्षाप्रद कहानियां हैं जिनका संबंध हमारे जीवन से हैं। हालांकि उपनिषद की सच्ची कहानियां तो हमें उपनिषदों में ही पढ़ने को मिलेंगी।
1. उपनिषद लगभग 1008 से भी अधिक हैं। उनमें से भी 108 महत्वपूर्ण हैं और उनमें से भी सबसे महत्वपूर्ण के नाम यहां प्रस्तुत हैं- 1. ईश, 2. केन, 3. कठ, 4. प्रश्न, 5. माण्डूक्य, 7. तैत्तिरीय, 8. ऐतरेय, 9. छान्दोग्य, 10. वृहदारण्यक, 11. नृसिंह पर्व तापनी।
2. उपनिषदों की कथाएं अनादि काल से हमारे मनोरंजन और ज्ञान का स्रोत रही हैं। पहले के दादा और दादी ये कथाएं सुनाते रहते थे।
3. वेद, पुराण, महाभारत, रामायण आदि की कथाएं प्राचीनकाल से लेकर आज तक ज्ञान और प्रेरणा का भंडार रहे हैं लेकिन उनमें भी उपनिषद की कथाएं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
4. उपनिषद की कथाओं का संकलन वर्तमान में कई लेखकों ने किया है। उन्हें सर्च कर आप उन लेखकों की किताबें खरीद सकते हैं।
5. प्रारंभिक उपनिषदों का रचनाकाल 1000 ईस्वी पूर्व से लेकर 300 ईस्वी पूर्व तक माना गया है। कुछ परवर्ती उपनिषद, जिन पर शंकर ने भाष्य किया, बौद्धकाल के पीछे के हैं और उनका रचनाकाल 400 या 300 ईपू का है। सबसे पुराने उपनिषद वे हैं, जो गद्य में हैं।