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आते-जाते बादलों को देखकर

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- इरशाद कप्तान

मम्मी, मम्मी। देखो-देखो टैंकर। मेरे मुँह से यह आवाज सुनकर मम्मी जल्दी से बर्तन लेकर बाहर आ गई। कहाँ है? मम्मी ने पूछा। मैंने - वो देखो आसमान में। बादल बिल्कलु ऐसा लग रहा है जैसे कोई पानी का टैंकर हो। मम्मी मुझे देखकर मुस्कराई और फिर सड़क पर एक नजर डाल अंदर चली गई। मम्मी के जाने के बाद भी मैं बादलों को देखता रहा।

बादलों में मुझे कई-कई तरह की चीजें नजर आईं। घोड़ा, हाथी, कुत्ता और तरह-तरह के आदमियों की शक्लें। कितने अलग-अलग रूप होते हैं बादलों के और रंग भी। कभी लाल, गुलाबी, बैंगनी, ग्रे, नारंगी, नीला और सफेद तो है ही। बादल भी कैसे रूई के बड़े-बड़े गोले की तरह होते हैं ना?

और आसमान में इनकी चाल तो देखो... ऐसा लगता है जैसे किसी ने जमाकर रख दिया है... एक के पीछे एक ... कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि ये बादल प्रार्थना तो नहीं करने जा रहे हैं... क्योंकि स्कूल में हम भी एक के पीछे एक लाइन बनाकर खड़े होते थे और प्रार्थना गाते थे। इस प्रार्थना को गाकर और बादलों को देखकर मुझे खूब अच्छा लगता है।

बादलों के बारे में दादी मुझे कहते थीं कि जिसके मन में जो इच्छा होती है उसे वही दिखता है। जैसे किसी को घोड़ा दिखा तो वह घोड़े की तरह जीवन में सबसे आगे निकल जाना चाहता है, वगैरह-वगैरह...। खैर, हमारे यहाँ तो पानी की कमी थी इसलिए मुझे बादल में टैंकर दिखा। वैसे मुझे बादल कुछ-कुछ दादी के बालों जैसे भी दिखाई देते हैं। और तुम बादलों में क्या-क्या देख पाते हो?

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