- मुकुल सोनी
1. आदि कटे तो गीत सुनाऊँ
मध्य कटे तो संत बन जाऊँ
अंत कटे साथ बन जाता
संपूर्ण सबके मन भाता
2. सीधी होकर, नीर पिलाती
उलटी होकर दीन कहलाती।
3. हरी थी मन भरी थी
मोतियों से जड़ी थी
राजाजी के बाग में
दुशाला ओढ़े खड़ी थी
4. सीधी होकर वह बहती है
उल्टी होकर वाह-वाह कहती है।
उत्तर : संगीत, नदी, भुट्टा, हवा