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चींटियों से सीखो ट्रैफिक से निपटना

लैब से बाहर का साइंस

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छोटी सी चींटी बहुत अच्छी ड्राइवर है। तभी तो उसकी गाड़ी उलाल नहीं होती। चींटियों को एक कतार में चलता देखकर यह समझा और सीखा जा सकता है। उनकी मदद से मनुष्य शहरों में ट्रैफिक समस्या का हल खोज सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि चींटियों में भीड़ का प्रबंधन करने की खासी समझ होती है। जब वे एक कतार में चलती हैं तो बिलकुल अच्छे से ट्रैफिक संतुलन कर लेती है। कभी कोई टक्कर नहीं होती। दो चींटियों का रास्ता अगर टकराता है तो दोनों में से एक बड़ी विनम्रता से रास्ता बदल देती है और बिना टकराहट दोनों अपनी-अपनी राह चली जाती हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि चींटियों के मस्तिष्क में 2 लाख 50 हजार से भी ज्यादा कोशिकाएँ होती है जो कीट से ज्यादा है। विशेषज्ञ डॉ. डिर्क ने बात समझाने के लिए एक शक्कर के बर्तन तक चींटियों के पहुँच के दो रास्ते बनाए। एक रास्ते की दूरी कम और दूसरे की उससे ज्यादा थी। पहले चींटियों ने कम दूरी वाले रास्ते का ही इस्तेमाल किया पर जब कम दूरी वाले रास्ते पर भीड़ बढ़ गई तो वे तुरंत ही लंबी दूरी वाले रास्ते की तरफ मुड़ गई। यह बताता है कि किसी भी चींटी ने वह रास्ता चुना जिस पर उसे भोजन लाने ले जाने में आसानी हो। भले ही यह रास्ता लंबा क्यों न हो।

जर्मनी के ड्रेसडेन तकनालॉजी विश्वविद्यालय के डॉ. हेलबिंग कहते हैं कि अगर चींटियाँ अपने साथियों में अच्छे रास्ते की सूचना तुरंत पहुँचा देती है और भीड़ को एक जगह से दूसरी जगह भेजना आसान होता है। मनुष्य भी अगर एक दूसरे को ट्रैफिक जाम वाले रास्ते की सूचना देने का काम करें तो ट्रैफिक की समस्या सुलझ सकती है। इस खबर से तो यही कहा जा सकता है कि चींटियाँ ट्रैफिक सेंस में मनुष्य से बेहतर हैं।

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