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डि‍स्‍टेंस एजुकेशन है फायदेमंद

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भारत में डि‍स्‍टेंस एजुकेशन के प्रति रुचि तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि इसके माध्यम से अध्ययन करने के लिए नामांकित होने वाले लोगों की संख्या अगले दशक तक दुगुनी होने की संभावना है। वर्तमान समय में लगभग 10 मिलियन छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

डि‍स्‍टेंस एजुकेशन के कारण देश के गाँवों में रहने वाले लाखों भारतीयों को अफोर्डेबल फीस में क्‍वालि‍टी एजुकेशन मि‍ल सकती है।

उच्च शिक्षा में भारत का सकल नामांकन अनुपात (ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो) 12 प्रतिशत है, जो कि विकसित देशों में 70 प्रतिशत है, इसलिए हमारी सरकार 'शिक्षा को सभी के लिए सुलभ' बनाने हेतु शिक्षा के एक अन्य माध्यम के तौर पर डि‍स्‍टेंस एजुकेशन के विकास पर जोर दे रही है।

राष्ट्रीय ज्ञान समिति ने 1500 विश्वविद्यालयों की आवश्यकता का उल्लेख किया है, इस योजना के तहत भारत के प्रत्येक जिले में कम से कम एक विश्वविद्यालय का होना और डि‍स्‍टेंस एजुकेशन का विकास शामिल है, जिस पर अब ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

मणिपाल एजुकेशन में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ वाइस प्रेसीडेंट श्री एएम थिमैया के अनुसार, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए अधिक से अधिक शिक्षा केंद्रों की बढ़ती माँग को देखते हुए सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी डिस्टेंस एजुकेशन (एसएमयू-डीई) ने विद्यार्थियों को लाभान्वित करने वाले विभिन्ना विषयों में गहन पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है।

इस संस्थान की यह पहल सफल रही है, क्योंकि इसमें 2 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने नामांकन करवाया है। वर्ल्ड डीआईडीएसी 2010 की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक उच्च शिक्षा में होने वाले कुल नामांकनों के 22 प्रतिशत भाग पर डि‍स्‍टेंस एजुकेशन का है।

सिंपल मैथड्स के साथ पेश करना होगा
ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद शिक्षा केंद्र, तकनीक का उपयोग और विभिन्ना विषयों में डिप्लोमा तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उन कारकों में शामिल हैं, जो अधिक से अधिक विद्यार्थियों और पेशेवर व्यक्तियों को डि‍स्‍टेंस एजुकेशन की ओर आकर्षित कर रहे हैं। श्री थिमैया बताते हैं कि विद्यार्थियों के समक्ष डि‍स्‍टेंस एजुकेशन को शिक्षा की एक सरल क्रियाविधि के रूप में प्रस्तुत करने हेतु नियुक्त सेवाओं के साथ-साथ व्यक्तिपरक पद्धतियों और पाठ्यक्रमों की पेशकश करना आवश्यक है।

उदाहरण के लिए एसएमयू-डीई ने बाजार का गहन शोध किया है और इससे प्राप्त जानकारी के आधार पर अब यह डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर डिप्लोमा और स्नातकोत्तर श्रेणी में 11 विषयों में 51 रोजगारोन्मुखी कोर्सेस की पेशकश करती है। एसएमयू-डीई प्रबंधकीय अनुभव प्राप्त व्यक्तियों को भी प्रवेश देती है। इन पाठ्य-क्रमों में प्रबंधन एवं वाणिज्य, सूचना तकनीकी, पत्रकारिता, व्यावहारिक विज्ञान और मिश्रित चिकित्सा में स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स शामिल हैं।

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तेजी से बढ़ रही है संख्या
डि‍स्‍टेंस एजुकेशन में नामांकित होने वाले विद्यार्थियों की संख्या में तेजी से बढ़त हो रही है और कॉर्पोरेट भी डि‍स्‍टेंस एजुकेशन संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को नियुक्त कर इसकी अनुशंसा कर रहे हैं। एसएमयू-डीई के कोर्स लचीली शैली के हैं, जिनमें स्वाध्याय सामग्री के साथ शिक्षा केंद्रों और एडूनेक्स्ट के माध्यम से परामर्श शामिल है।

तकनीक का फायदा
दूरस्थ शिक्षण प्रणाली में टेक्नॉलॉजी का सबसे बड़ा फायदा है। इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा प्राप्त की जा सकती है और विद्यार्थी कहीं भी और कभी भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विद्यार्थी ऑनलाइन परीक्षा दे सकते हैं, लेख, ब्लॉग आदि पढ़ सकते हैं। ग्रुप डिस्कशन में भाग ले सकते हैं और समृद्ध विषय-सामग्री द्वारा अध्ययन कर सकते हैं।

विद्यार्थी छोटे समूह का निरीक्षण कर सकते हैं। आभासी क्लास रूम, पठनीय एवं अन्य संवादपूर्ण सामग्री, स्वाध्याय सामग्री, रिकॉर्डेड प्रस्तुतियों और शेयर्ड ब्राउजिंग का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

छोटे शहरों में विस्तार ज्यादा
डि‍स्‍टेंस एजुकेशन भारत में शिक्षा की आपूर्ति का भविष्य है और देश के शैक्षणिक परिदृश्य में इस ठोस परिवर्तन को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। सरकार उच्च शिक्षा के माध्यम के तौर पर डि‍स्‍टेंस एजुकेशन संस्थानों पर अधिक जोर दे रही है और पारंपरिक शिक्षा संस्थानों के साथ इन संस्थानों का सह-अस्तित्व स्थापित हो रहा है।

भविष्य में देश के छोटे शहरों में डि‍स्‍टेंस एजुकेशन को लेकर नए प्रयोग देखने में आ सकते हैं। इनसे न केवल युवा, बल्कि उन लोगों को भी फायदा होगा, जो नौकरी करने के साथ पढ़ाई करना चाहते हैं।

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