आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में है स्मार्ट कैरियर
मानव मस्तिष्क की बुद्धिमत्ता का कोई छोर नहीं है। और इसी सोच के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषय का जन्म हुआ। आरंभिक सोच यही थी कि कम्प्यूटर स्वयं सोचे और निर्णय ले। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ काफी पहले हो चुका था ये कम्प्यूटर और कम्प्यूटर प्रोग्रामों को उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास होता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क चलते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उद्देश्य होता है कि कम्प्यूटर अपने-आप तय कर पाए उसकी अगली गतिविधि क्या होगी। इसके लिए कम्प्यूटर को अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार अपनी प्रतिक्रिया चुनने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। इसके पीछे यही प्रयास होता है कि कम्प्यूटर मानव की सोचने की प्रक्रिया की नकल कर पाए। इसका अनूठा उदाहरण है शतरंज खेलने वाले कम्प्यूटर। ये कम्प्यूटर प्रोग्राम मानव मस्तिष्क की हर चाल की काट और अपनी अगली चाल सोचने के लिए कम्प्यूटर को प्रोग्राम किया हुआ है। ये इतना सफल रहा है कि आईबीएम का कम्प्यूटर विश्व के सबसे नामी शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्परोव को हरा चुका है।जब भी मानव बुद्घिमत्ता की चर्चा होती है, तब अनेक बुद्घिमान लोगों का स्मरण होता है। हाल के वर्षों में मानवीय सोच समझ इतनी तेजी से विकसित होती जा रही है कि प्रकृति की रचना को हर क्षेत्र में कड़ी चुनौती दे रही है। विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ हरेक चीज कृत्रिम बनती जा रही है। इस प्रगति में मानव ने बुद्घिमत्ता के क्षेत्र में भी अपने अनुभव और आकांक्षाओं से कृत्रिम बुद्घिमत्ता यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस विकसित करने का प्रयास किया है। वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे कम्प्यूटर भी आविष्कृत कर लिए गए हैं जिनमें जटिल से जटिल कार्य को न्यूनतम समय में करने की क्षमता होती है। आधुनिक कम्यूटरीकृत मशीनें किसी लिखे हुए पाठ को मानव की तरह से ही शब्दों की पहचान कर एवं पढ़ सकती है। ऑटो पायलट मोड पर वायुयान, मशीन द्वारा संचालित किए जाते हैं। कम्प्यूटरों में ध्वनियां और आवाजों को पहचानने की क्षमता होती है। किन्तु कृत्रिम बुद्घिमत्ता एक रूप से सीमित भी है, क्योंकि इसका सामर्थ्य इसकी प्रोग्रामिंग पर निर्भर करता है। लेकिन मानवीय मस्तिष्क में ऐसी कोई सीमा निश्चित नहीं होती है।
वैसे कृत्रिम बुद्घिमत्ता ने मानवीय कार्य को काफी सुविधाजनक बना दिया है। सौ मस्तिष्कों की क्षमता वाला कार्य, मात्र एक ही कम्प्यूटर सुलभ कर सकता है। ये बात गणनाओं व तर्कों के संदर्भ में है। पिछले कुछ सालों में कारखानों में भी रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इससे उत्पादन को कई गुना बढ़ाने में मदद मिली है। स्टील, लैदर या गैस उत्पादों से संबंधित कारखानों में रोबोट का प्रयोग बड़े पैमाने में किया जा रहा है। इतना ही नहीं अब तो सीमावर्ती दुगर्म पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में चौकसी के लिए भी रोबोट का इस्तेमाल किया जाने लगा है और इसके लिए बकायदा रोबोट आर्मी भी बनाई जाने लगी है। इसके अलावा न्यूक्लियर साइंस, समुद्री खोज आदि में भी रोबोट का खूब इस्तेमाल हो रहा है। रोबोटिक्स और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में रूचि रखने वाले युवा इस क्षेत्र में चमकदार करियर बना सकते हैं। आज रोबोट का इस्तेमाल एंटी बॉम्ब स्क्वॉड, रेस्क्यू ऑपरेशन, मानवरहित विमान, कार व रेल चलाने, घरेलू नौकर, सुरक्षा गार्ड आदि का रूप में भी खूब किया जा रहा है। जिस तरह इसका प्रयोग बढ़ रहा है उसे देखते हुए अगर आने वाले समय में हर काम रोबोट करता हुआ दिखाई दे तो इसमें कोई ताज्जुब वाली बात नहीं होगी। कुछ नया करने का जुनूनआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में धैर्य की काफी जरूरत है। इसके अलावा अपने कार्य के प्रति जुनून भी जरूरी है। इसमें रोबोट से छोटा सा काम करवाने के लिए भी काफी बड़ी प्रोग्रामिंग लगती है और कई बार घंटों की मेहनत पर पानी भी फिर जाता है। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग के अलावा कम्प्यूटर साइंस का ज्ञान होना भी जरूरी है। यह क्षेत्र जितना रोमांचक है उतनी ही मेहनत भी मांगता है।यहां से कर सकते हैं कोर्स-
सीएआईआर (सेन्टर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स), बैंगलुरू -
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, कर्नाटक -
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इनफर्मेशन टेक्नॉलजी, इलाहाबाद