अनुवाद की कला से रू-ब-रू कराने के लिए आज विश्वविद्यालयों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों में ढेरों कोर्स भी चल रहे हैं। अनुवाद में आज विश्वविद्यालय एम. फिल तथा पीएचडी भी करा रहे हैं। गौरतलब है कि अनुवाद का काम महज डिग्री व डिप्लोमा से ही नहीं सीख जा सकता है। इसके लिए प्रक्टिस और वास्ट नॉलेज की भी जरूरत पड़ती है।
यह दो भाषाओं के बीच सेतु का काम करता है। अनुवादक को इस कड़ी में स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा में जाने के लिए दूसरी भाषा के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का भी ज्ञान हासिल करना पड़ता है। एक प्रोफेशनल अनुवादक बनने के लिए आज कम से कम स्नातक होना जरूरी है। इसमें दो भाषाओं के ज्ञान की माँग की जाती है।
उदाहरण के रूप में यदि आपको हिंदी-फ्रेंच भाषा का अनुवादक बनाना है तो आपको दोनों भाषाओं की व्याकरण और सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान जरूर होना चाहिए।
अनुवाद में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स छात्र को इसके थ्योरेटिकल और प्रैक्टिकल भाग से अवगत कराता है। यह अनुवाद के क्षेत्र में आने वाले युवाओं का मार्गदर्शन करता है। हालाँकि, अनुवादक बनने के लिए अभ्यास और ज्ञान की अहम भूमिका होती है।
निरंतर अभ्यास से ही अनुवाद में दक्षता हासिल की जा सकती है तथा चमकीला करियर बनाया जा सकता है। वैश्वीकरण के दौर में अनुवाद का दायरा काफी बड़ा हो गया है।
इंस्टिट्यूट्स :
1. भारतीय अनुवाद परिषद, 24 स्कूल लेन, बंगाली मार्केट, नई दिल्ली।
2. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, न्यू महरोली रोड, नई दिल्ली।
3. भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली।
4. दिल्ली विश्वविद्यालय, उत्तरी परिसर, दिल्ली।
5. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैदानगढ़ी, नई दिल्ली।
6. इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन स्टडीज, बैंगलुरु