एक्टिंग और मॉडलिंग की दुनिया
-पूनम
फिल्म उद्योग और टेलीविजन की दुनिया में रोजाना कदम रख रहे नए-नए कलाकारों को देखकर हर युवा के मन में एक्टर बनने का ख्याल आ सकता है। नई सोच और जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो यह मुश्किल काम नहीं। पर इस दुनिया में कदम रखने से पहले एक्टिंग की बारीकियाँ जानना भी जरूरी है। फिल्म और टेलीविजन की दुनिया में कई ऐसे कामयाब कलाकार है जो कभी एक्टिंग स्कूल नहीं गए। पर उनका नाम बडे एक्टरों में शुमार है। तब फिर क्या कारण है कि लोग पूना फिल्म संस्थान, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय या क्राफ्ट जैसे संस्थानों से एक्टिंग का कोर्स करते है। नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, नाना पाटेकर, यशपाल शर्मा, राजपाल यादव, रघुवीर यादव कुछ ऐसे उदाहरण हैं। इनमें से कई छोटे शहरों से आए और उनका कोई फिल्मी बैकग्राउण्ड नहीं था। पर आज वे फिल्म इंडस्ट्री में कामयाब कलाकार माने जातें है। इन सबमें एक बात समान है कि इन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कई युवाओं ने स्कूल या कॉलेज के नाटकों में भाग लिया है अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए इनमें से कुछ लोग इस क्षेत्र में प्रोफेशनल बनाना चाहते है। लेकिन कुछ लोगों मे अपनी एक्टिंग क्षमता को लेकर कुछ शंकाए भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में विश्वास की कमी होती है। अलग-अलग किरदार निभाने में एक अच्छा एक्टिंग स्कूल आपकी वो शंकाएं दूर कर सकता है। जो इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में जरूरी है।
अगर आपने इंस्टिट्यूट में करियर बनाने का संकल्प लिया है तो व्यावसायिक प्रशिक्षण से आपके अन्दर आत्मविश्वास पैदा हो सकता है। फिल्म संस्थानों में एक्टिंग वर्कशॉप में हर दिन अलग-अलग अभ्यास के द्वारा आपकी क्षमताओं को विकसित किया जाता है। आज एक्टिंग संस्थान अपने छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए अनुभवों और बिजनेस की नीतियों से समय-समय पर वर्कशॉप द्वारा अवगत कराते है। ये विशेष वर्कशॉप अलग-अलग किरदारों को समझनें, इमोशन के विभिन्न पहलुओं को बरीकियों से महसूस करने में सहायक होती हैं। डायलॉग किरदार को निभाने का महत्वपूर्ण अंग होता है । इन विशेष कार्यशालाओं में भिन्न-भिन्न परिस्थति के डायलॉग और बोलने की क्षमता में निपुण कराया जाता है। छात्रों को आवाज मे निखार के साथ मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को उभारने का प्रशिक्षण दिया जाता है। रोजगारआज एक्टिंग के क्षेत्र में रोजगार की आपार संभावानाएं मीडिया के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध हैं उदाहरण के तौर पर आज एक
एक्टर, अंताक्षरी होस्ट करके भी उतना नाम व पैसा कमा सकता है जितना एक फिल्म स्टार को मिलता था। टेलीविजन एडवरटाईजिंग के अन्दर एक साधारण दिखने वाला व्यक्ति भी एक केरेक्टर रोल निभाकर 20-30 हजार रुपए प्रतिदिन तक अर्जित कर सकता है कैरेक्टर रोल की डिमांड आज बोमन इरानी से लेकर राजपाल यादव तक में अनुभव की जा सकती है। इवेंटिंग संस्थान की टे्रनिंग इंस्टीट्यूट इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि उनके पढ़ाए हुए छात्र को कौन-कौन से माध्यम में एक्टिंग का काम आसानी से मिल सकता है जो लोग फिल्मों और सीरियलों में रोल्स के ऑडीशन लेते हैं। उन लोगों के मोबाइल नम्बर तथा ई-मेल के पते के द्वारा उनसे सम्पर्क स्थापित करने में मदद करते हैं। कुछ एक्टिंग इंस्टिट्यूट अपने स्टूडेंट के विभिन्न कोण के फोटोग्राफ का एल्बम और विडियो तैयार कराते हैं इसके अतिरिक्त आधुनिक तकनीक का उपयोग एक्टर की प्रमोट करने में किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है इस विषय में विशेष ध्यान देतें है।इंस्टिट्यूट :
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्लीमेलः [email protected]फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, लॉ कॉलेज रोड, पूणेवेबसाइट www.ftiindia.comसेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, दिल्ली वेबसाइट www.log2craft.orgव्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल, मुंबईवेबसाइट www.whistilingwoods.netफिल्म ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, हैदराबाद