पॉपुलेशन स्टडीज इंस्टिट्यूट
देश में पॉपुलेशन स्टडीज पर आधारित शिक्षा की व्यवस्था ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन दोनों स्तरों पर उपलब्ध है। एक दर्जन से यूनीवर्सिटी में इस प्रकार के कोर्स फिलहाल संचालित किए जा रहे हैं। इनमें बीए और एमए पॉपुलेशन स्टडी के अतिरिक्त पोस्ट एमए डिप्लोमा इन तयूमन इकोलॉजीया पॉपुलेशन इकोलॉजी डिप्लोमा इन पॉपुलेशन स्टडीज, डेमोग्राफिक स्टडीज में ट्रेनिंग इत्यादि का खासतौर से उल्लेख किया जा सकता है। इस प्रकार की ट्रेनिंग के बाद पॉपुलेशन के विभिन्न धरकों की जानकारियाँ जुटाने पर आधारित सर्वेक्षण कार्यक्रमों रिसर्च वर्क तथा यूनीवर्सिटी कॉलेजों में इस विषय के अध्ययन से जुड़े कामों में रोजगार स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं। रोजगार के लिए सरकारी विभागों, निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा एनजीओ से संपर्क किया जा सकता है। यही नहीं विदेशी संस्थाओं और यूएन पॉपुलेशन फंड सरीखी बड़ी एजेंसियों से भी इस प्रकार के भविष्य निर्माण के क्रम में जुड़ने का मौका मिल सकता है। भारत जैसे देश में जनसंख्या की बढ़ती समस्या और इनके क्षेत्रवार ट्रेंड को समझने के लिए ऐसे बृहद शोधकार्यों ही अब भी बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। सिर्फ सरकारी तंत्र के भरोसे इस प्रकार के कार्य सरीक रूप से नहीं चलाए जा सकते हैं यह बात जगजाहिर है। इसीलिए निजी क्षेत्र के संगठनों के अलावा देशी-विदेशी एनजीओ की भागीदारी में बढ़ोत्तरी अब तेजी से देखने में आ रही है।ये हैं इंस्टिट्यूट : पंजाब यूनीवर्सिटी, चंडीगढ़महर्षि दयानंद यूनीवर्सिटी, रोहतकमद्रास यूनीवर्सिटी, चेन्नईर्बदमान यूनीवर्सिटी, र्बदमानश्रीवेंकटेश्वर यूनीवर्सिटी, तिरुपतिराजस्थान यूनीवर्सिटी, जयपुरकिसी भी देश की जनसंख्या के स्वरूप की जानकारी से उनके मानव संसाधन से संबंधित सिर्फ जानकारी ही हासिल नहीं होती बल्कि प्रोडक्शन में उपयोगी कुशल लोगों की पहचान की झलक भी मिलती है।सरकारी नीतियों के निर्माण, जनकल्याण कार्यकलापो के क्रियान्वयन तथा कॉपर्रेट स्तर के निवेश संबंधी निर्णयों में जनसांख्यिकी के आंकड़ों का विशेष महत्व होता है।देश में बीए और मास्टर्स स्तर पर पॉपुलेशन स्टडीज की शिक्षा नियमित और पत्राचार माध्यम से विभिन्न विश्वविद्यालयों में उपलब्ध है।