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अब गुणसूत्रों की गड़बड़ी पता चल सकेगा

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स्टॉकहोम , सोमवार, 4 जुलाई 2011 (13:50 IST)
अंडाणु में ही गुणसूत्रों की गड़बड़ी का पता लगाने में सक्षम एक परीक्षण प्रजनन के क्षेत्र में अत्यंत मददगार हो सकता है और इसकी मदद से उम्रदराज महिलाओं को आईवीएफ तकनीक की मदद से मां बनने का सुख मिल सकता है।

वैज्ञानिक अपनी इस सफलता से उत्साहित हैं, लेकिन उन्होंने ऐसे सबूत का संकेत भी दिया है जिससे यह आशंका उभरती है कि इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से बच्चे को डाउन सिन्ड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है।

लंदन ब्रिज फर्टिलिटी के गायनोलॉजी एण्ड जेनेटिक्स सेंटर के निदेशक एलन हैंडीसाइड का कहना है कि यह एक सामान्य सवाल है। बहरहाल, आठ देशों के डॉक्टरों का नेतृत्व कर रहे एलेन ने कहा कि लेकिन अब तक हमारे पास कोई सीधा प्रमाण नहीं है और हम नहीं चाहते कि महिलाएं चिंतित हों।

परीक्षण के बारे में आज स्टॉकहोम स्थित ‘यूरोपियन सोसायटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एण्ड एम्ब्रियोलॉजी’ की वार्षिक गोष्ठी में बताया गया। इस परीक्षण तकनीक के अंतर्गत अंडाणु के गुणसूत्रों के जोड़ों को उसके व्यस्क होने से पहले ही गिन लिया जाता है।

इसका मुख्य लक्ष्य गुणसूत्रों में होने वाली समस्या के बारे में पता लगाना है जिसकी वजह से भ्रूण में विकृति आ जाती है और गर्भपात भी हो सकता है। अंडाणु में गुणसूत्रों का एक अतिरिक्त जोड़ा होने पर ‘डाउन सिंड्रोम’ नामक मानसिक विकलांगता आती है।

हैंडीसाइड का कहना है कि इस नए तकनीक के माध्यम से अच्छे और खराब अंडाणुओं में अंतर किया जा सकता है तथा उन्हें अलग किया जा सकता है। इसके माध्यम से डॉक्टर महिलाओं को किसी अंडाणु के माध्यम से गर्भवती होने और उससे स्वस्थ बच्चे के पैदा होने के बारे में सलाह दे सकते हैं।

इस तकनीक की मदद से 35 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी मां बन सकेंगी। (भाषा)

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