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ईश्वर को ढूंढ लिया वैज्ञानिकों ने!

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, शनिवार, 16 मार्च 2013 (14:47 IST)
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जेनेवा। गहन तपस्या में साधुओं को ईश्वर के दर्शन होते हैं, लेकिन सर्न फिजिक्‍स रिसर्च सेंटर ने इस बात का दावा किया की वैज्ञानिकों ने बहु प्रतीक्षित सब एटोमिक पार्टिकल 'हिग्‍स बोसोन' अर्थात ब्रह्म कण की खोज कर ली है।

यूरोपियन आर्गेनाइजेसन फॉर न्‍यूक्‍लियर रिसर्च या सर्न के अनुसार, पिछली गर्मियों में एलीमेंट्री पार्टिकल की लार्ज हेड्रोन कोलाइडर में खोज की गई थी और इसका विश्‍लेषण पुख्‍ता संकेत करता है कि वैज्ञानिकों ने जो कुछ भी पिछले साल पाया वह गॉड पार्टिकल का ही वर्जन था।

सर्न के भौतिकी विज्ञानी जोए इनकान्‍डेला ने एक बयान में कहा कि यह स्‍पष्‍ट है कि हम हिग्‍स बोसोन के साथ प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि हमें इस दिशा में अभी लंबी दूरी तय करना है और यह पता लगाना है कि यह किस प्रकार का हिग्‍स बोसोन है।

गौरतलब है कि सब एटोमिक पार्टिकल से यह ज्ञात करने और विश्‍लेषण करने में मदद मिलेगी कि पदार्थ में मॉस क्‍यों होता है। अभी तक भौतिकी में इसे ज्ञात नहीं माना जाता है। बीते जुलाई में वैज्ञानिकों ने एक पार्टिकल के खोज की घोषणा की थी और इसे हिग्‍स जैसा बताया था।

ईश्वर कण : पिछले साल जुलाई में वैज्ञानिकों ने लार्ज हैल्ड्रोन कोलाइडर परियोजना पर काम के दौरान जिस कण को हिग्स बोसोन के बतौर पाया था, वह ईश्वर कण ही है, इस बात की संभावना और बढ़ गई है।

सर्न प्रयोगशाला में इस पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा है कि पिछले साल हमने सावधानी बरतते हुए कहा था कि हमने जिस कण को तलाशाने के बाद हिग्स जैसा कहा था, वह असल में बोसोन परिवार का ही है।

हाल ही में हुए इटली में मैरिओंड बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि वैज्ञानिकों ने जिस कण को तलाशा था, उसका 'घुमाव' हिग्स के अनुरूप ही दिखता है। वैज्ञानिक इस बात पर एकमत नहीं थे कि ये हिग्स किस तरह के हैं। अटलस और सीएमएस के दल ने इस कण को लेकर जो जानकारियां एकत्र की थीं, उसके अलावा भी कई सूचनाओं और जानकारियों का विश्लेषण किया गया।

सीएमएस के प्रवक्ता जो इंसादेला का कहना है कि 2012 के पूरे आंकड़ों के साथ शुरुआती नतीजे शानदार हैं और मेरे लिए ये स्पष्ट है कि हमारा वास्ता हिग्स बोसोन से पड़ रहा है, हालांकि ये समझने के लिए हमें लंबा सफर तय करना होगा कि ये किस तरह का हिग्स बोसोन है।

बीबीसी के अनुसार सूक्ष्माणुओं के इस समूह की पहचान कुछ खास गुण हैं जिनमें 'घुमाव' और 'एकरूपता' भी शामिल है और नए कण के इन गुणों का स्पष्टता से निर्धारण ये तय करेगा कि क्या यही हिग्स है जिसकी लंबे समय से खोज की जा रही थी।

सैद्धांतिक रूप से हिग्स के अलग-अलग प्रकार अस्तित्व में हो सकते हैं। इसका सरलतम स्वरूप वैज्ञानिक सिद्धांतों को मजबूत करेगा और निश्चित तौर पर कण के अधिक 'आकर्षक' संस्करण विज्ञान में नए रास्ते खोलेंगे।
- (एजेंसी)

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