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कम हो सकता है ग्लोबल वार्मिंग का दुष्प्रभाव

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वॉशिंगटन , शुक्रवार, 13 जनवरी 2012 (10:35 IST)
नासा की ओर से हाल में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दक्षिण एशियाई देशों विशेष रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश में दो प्रमुख प्रदूषकों कार्बन और मीथेन में कमी लाकर आने वाले कई वर्षों के लिए ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है और समय पूर्व होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।

न्यूयॉर्क स्थित नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के ड्रीयू शिंडेल के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई कि इन कदमों पर जोर देकर वर्ष 2050 तक वैश्विक तापमान बढ़ोतरी को औसतन 0.5 डिग्री सेल्सियस धीमा किया जा सकता है।

इससे फसल की पैदावार में प्रति मौसम 13.5 करोड़ मीट्रिक टन बढ़ोतरी होगी, साथ ही प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोगों को समयपूर्व मौत से बचाया जा सकेगा।

इससे विश्व के सभी क्षेत्र लाभान्वित होंगे लेकिन एशिया और पश्चिमोत्तर एशियाई देशों में इसका स्वास्थ्य और कृषि पर लाभ अधिक देखने को मिलेगा। भारत, बांग्लादेश और नेपाल जैसे दक्षिण एशियाई देशों में समयपूर्व होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आएगी।

नासा ने कहा कि अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि इससे वैश्विक रूप से प्रत्येक वर्ष समयपूर्व होने वाली सात लाख से 47 लाख मौतों को रोकने में मदद मिलेगी। (भाषा)

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