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कैसे रखें इस गरमी में घर को ठंडा

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, गुरुवार, 28 अप्रैल 2011 (18:46 IST)
घरों को ठंडा रखने की सस्ती और कामयाब तकनीक बताते हुए नासा ने छतों को सफेद करने का उपाय सुझाया है। हालाँकि भारत में बहुत से लोग इस तकनीक को आजमा रहे हैं। इस तकनीक से न केवल शहरों में बने सीमेंट-कांक़्रीट के घरों का तापमान कम किया जा सकता है बल्कि ग्लोबल वॉर्मिंग पर भी कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है।

छतें तपने से शहर बन रहे हीटआईलैंड, कांक्रीट की छतें उगल रही हैं आग - सीमेंट-कांक्रीट की छतों से बने घर तेज गर्मी से भट्टी की तरह तपने लगते हैं। गर्मी के दिनों में इनमें देर रात को भी बैठना मुश्किल हो जाता है। सीमेंट-कांक्रीट के ये निर्माण शहरों को हीटआईलैंड (ऊष्माद्वीप) में तब्दील कर रहे हैं। नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के वैज्ञानिकों का कहना है कि छतों पर 'सफेद पेंट' या 'चूनायुक्त सफेद सीमेंट' लेप लगाकर इसके प्रभाव में 70 से 80 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है। सफेद रंग रिफ्लेक्टर का काम करता है।
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नेशनल सेंटर ऑफ एटमास्फिरिक रिसर्च व नासा के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है कि अगर दुनिया की सभी छतों को सफेद कर दिया जाए तो 44 गीगा टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम किया जा सकता है।

क्या होता है हीटआईलैंड प्रभाव: जानकारों के अनुसार दिन के समय में छतों द्वारा सोलर विकिरणों को अवशोषित कर लिया जाता है। इससे गहरे रंग की छतें काफी गर्म हो जाती हैं। सामान्य परिस्थितियों में यह तापमान 70 से 80 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। गर्म होती छतों से लगातार उत्सर्जित सोलर विकिरण अधिक समय तक वातावरण में बने रहते हैं, जिससे शहरी क्षेत्र हीटआईलैंड में तब्दील हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा प्रभाव शहर के औसत तापमान पर आ रहा है।

भीतरी व बाहरी क्षेत्रों के तापमान में 6 से 7 डिग्री का अंतर हो जाता है। जिसमें धीरे-धीरे पर्यावरणीय अस्थिरता के साथ न्यूनतम तापमान भी बढ़ रहा है।

पर सफेद छत ही क्यों : छतों को गर्म होने से बचाने के लिए सोलर रेडिएशन से बचाव जरूरी है। वैज्ञानिकों के अनुसार डार्क रंग रेडिएशन के अधिक भाग को अवशोषित कर लेते हैं। सीमेंट से बने छतों का रंग भी गहरा होता है। यदि छतों को सफेद कर दिया जाए तो सोलर विकिरण परावर्तित होकर वापस स्पेस में चले जाते हैं। इससे वायुमंडल के तापमान पर भी फर्क नहीं होता है।

सफेद छत के और भी फायदे : भवनों का तापमान कम होने से ठंडा करने के उपायों में कम बिजली खर्च होगी। जिससे वातावरण में कार्बन गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी। कम बिजली का मतलब है दिनों-दिन महँगी होती बिजली की दरें से भी आम लोगों की बचत हो सकेगी।

उत्सर्जित ऊष्मा से शहर के बढ़ रहे तापमान में असंतुलन कम हो सकता है। सीमेंट-कांक्रीट की छतों से बने घर तेज गर्मी से भट्टी की तरह तपने लगते हैं। गर्मी के दिनों में इनमें देर रात को भी बैठना मुश्किल हो जाता है। सीमेंट-कांक्रीट के ये निर्माण शहरों को हीटआईलैंड (ऊष्माद्वीप) में तब्दील कर रहे हैं। जिससे शहरों में पानी की खपत भी बढ़ जाती है साथ ही शहरों या शहरों के आस-पास स्थित जलाशय भी शीघ्र सूखने लगते हैं।

सस्ता और आसान उपाय: जानकारों के मुताबिक 2 हजार वर्गफीट की छत को सफेद रंग से पोतने के लिए लगभग 40 किलो चूना और 10 किलो सफेद सीमेंट काफी है। यह अपेक्षाकृत काफी सस्ता और आसान तरीका है जिसे आम लोग आसानी से उपयोग में ला सकते हैं।

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