क्या हम दिमाग से सूंघते हैं?
प्रश्न के उत्तर में आप कहेंगे जी नहीं, हम तो नाक से सूंघते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कैसे किसी केक की, सुगंधित फूल की या घर में बनने वाले व्यंजनों की सुगंध हम तक पहुंच जाती है। वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि हम नाक से नहीं बल्कि दिमाग से सूंघते हैं। अब उन्होंने नए अध्ययन में यह बताने की कोशिश की है कि हमारी दिमाग किस तरह से गंध को ग्रहण करता है। जब कोई भी गंध नाक तक पहुंचती है तो उसके लिए आर्डर दिमाग से ही जारी होते हैं। यह क्रिया बहुत ही तेज गति से होती है। असल में जैसे ही किसी भी पदार्थ की गंध नाक तक पहुंचती है तो वहां से दिमाग के ऑल्फेक्टरी बल्ब में जाता है। यहां से गंध की जानकारी दिमाग के कार्टेक्स के उस हिस्से में पहुंचती है जो खास तौर पर सुगंध का हिसाब-किताब रखने के लिए बना है।
कार्टेक्स वैसे आपकी सोचने और समझने की क्षमता देखता है। वैज्ञानिकों ने चूहे पर अध्ययन किया और देखा कि जब वह कोई भी गंध सूंघता है तो दिमाग की एक निश्चित कोशिकाएं कॉर्टेक्स तक सूचना पहुंचाती है। कितने बड़े हिस्से की और कितनी कोशिकाएं सूचना पहुंचाएगी यह गंध की तीव्रता पर निर्भर करता है। इस तरह दिमाग उस गंध को जानकर आपको महसूस करवाता है। अध्ययन अभी जारी है कि किस गंध पर कितनी कोशिकाएं उत्तेजित होकर सूचना पहुंचाती हैं। पर यह अध्ययन थोड़ा मुश्किल भी होगा क्योंकि दुनिया में कई प्रकार की गंध है। तो अब मत कहिएगा कि हम नाक से सूंघते हैं बल्कि कहिएगा कि हम दिमाग से सूंघते हैं। कोई पूछे कैसे तो यह बात बता दीजिएगा।