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खगोलविदों ने खोजा हीरे का ग्रह...

पृथ्वी के दोगुना आकार का ग्रह खोजा

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अमेरिका और फ्रांस के खगोलविदों ने अंतरिक्ष में आश्चर्यजनक रूप से हीरे का एक ग्रह खोजा है। इस ग्रह का आकार पृथ्वी के आकार का दोगुना है और यह एक तारे के चक्कर लगा रहा है, जिसे बिना किसी उपकरण की मदद से ऐसे ही देखा जा सकता है।

खगोलविदों द्वारा खोजे गए हीरे के इस ग्रह को '55 कैंक्री ई' नाम दिया गया है। यह ग्रह अपने से 40 प्रकाश वर्ष दूर एक सूर्य जैसे एक तारे का चक्कर लगा रहा है। यह अपने तारे का चक्कर इतनी तेजी से लगता है कि इस ग्रह का एक साल अथवा तारे की परिक्रमा केवल 18 घंटे में पूरी हो जाती है।

इस ग्रह की सतह अन्य ग्रहों की तरह पानी और ग्रेनाइट की बजाए हीरे और ग्रेनाइट से बनी है। इसका आकार पृथ्वी के आकार से दोगुना है लेकिन इसका घनत्व आठ गुना अधिक है।

इस नए ग्रह की खोज की खबर का प्रकाशन एक एस्ट्रोफिजिकल जनरल में होने जा रहा है। इस खोज का हिस्सा रहे येल के एक खोजकर्ता निक्कू मधुसूदन ने बताया कि हीरे की सतह वाला इस ग्रह का तापमान आश्चर्यजनक रूप से काफी अधिक 648 डिग्री सेल्सियस है।

खोजकर्ताओं का मानना है कि इस ग्रह के भार का एक तिहाई भाग तीन पृथ्वियों के भार के बराबर है, जो हीरे का बना हो सकता है। इससे पहले भी हीरे के ग्रहों को खोजा जा चुका है लेकिन यह पहला मौका है जब ऐसा कोई ग्रह सूर्य जैसे तारे का परिभ्रमण भी कर रहा है और जिसका इतने विस्तृत रूप में अध्ययन किया गया है।

मधुसूदन ने बताया कि पहली बार कोई ऐसा ग्रह खोजा गया है जो पृथ्वी से काफी अलग है। इस कार्बनयुक्त ग्रह की खोज से यह पता चला है कि सभी चट्टानी ग्रहों में पृथ्वी जैसे ही रासायनिक, जैविक और वातावरणीय तत्व हों यह जरूरी नहीं है।

प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के खगोलविद् डेविड स्पेरगल ने बताया कि अगर किसी ग्रह का भार और उम्र पता हो तो उसके इतिहास और आधारभूत आकार का पता लगना आसान हो जाता है। ग्रह कुछ ज्यादा ही पेचीदे होते हैं और इस हीरे के सतह वाले ग्रह की खोज ऐसा ही एक उदाहरण है। इस खोज ने तारों के पास के ग्रहों के बारे में और जानकारियां हासिल करने के शोध की शुरुआत कर दी है। ( वार्ता)

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