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जमीन पर डायनासोर, तो पानी में था शार्क का राज

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इंदौर , रविवार, 6 मई 2012 (12:27 IST)
भूगर्भ में दन जैविक इतिहास की परतें उघाड़ते हुए खोजकर्ताओं के एक समूह ने मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में शार्क मछली के दांतों के दुर्लभ जीवाश्म ढूंढ निकालने का दावा किया है। इन जीवाश्मों से पता चलता है कि कम से कम साढ़े छह करोड़ साल पहले नर्मदा घाटी क्षेत्र की जमीन पर डायनासोर की बादशाहत कायम थी, तो पानी के अंदर शार्क का राज चल रहा था।

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‘मंगल पंचायतन परिषद’ के प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया कि हमें यहां से करीब 125 किलोमीटर दूर धार जिले में खुदाई के दौरान शार्क मछली के दांतों के जीवाश्म मिले हैं।

खोजकर्ता समूह के प्रमुख के मुताबिक शार्क के दांतों के ये जीवाश्म भूतल की तीन विभिन्न परतों से मिले हैं। ये परतें आज से साढ़े छह करोड़ साल से 10 करोड़ साल पहले के तीन अलग-अलग कालखंडों से संबंध रखती है।

उन्होंने कहा कि दांतों के ये जीवाश्म आज की टाइगर शार्क के दांतों से काफी मिलते-जुलते हैं। इनमें शार्क के बड़े दांतों के साथ छोटे दांतों के जीवाश्म शामिल हैं, जिनमें सबसे लम्बा जीवाश्म करीब 14 सेंटीमीटर का है।

वर्मा ने शार्क के दांतों के सहस्त्राब्दियों पुराने जीवाश्मों को देखकर अनुमान लगाया कि उस वक्त इस खतरनाक परभक्षी जीव की लम्बाई पांच से छह फुट रही होगी।

उन्होंने बताया कि उनके खोजकर्ता समूह को जिस स्थान से शार्क के दांतों के दुर्लभ जीवाश्म मिले हैं, वह जगह करीब 12 करोड़ साल पुरानी नर्मदा घाटी का हिस्सा है।

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वर्मा ने कहा कि नर्मदा घाटी में शार्क के दांतों के जीवाश्मों का मिलना दुनिया के इस हिस्से में जीवन के क्रमिक विकास और पुरा जैव विविधता के रहस्यों से परदा उठाता है।

भौगोलिक हलचलों के चलते बाद में दोनों जीव इस क्षेत्र से विलुप्त हो गए। उन्होंने बताया कि गुजरे बरसों में खोजकर्ताओं को नर्मदा घाटी से डायनासोर के साथ शुतुरमुर्ग, दरियाई घोड़े और महागज के जीवाश्म भी मिल चुके हैं।

वर्मा ने कहा कि करोड़ों साल के गुजरे अंतराल में नर्मदा घाटी ज्वालामुखी विस्फोट समेत अलग-अलग भौगोलिक हलचलों की गवाह रही है। इन हलचलों के चलते घाटी में कभी समुद्र का जबर्दस्त अतिक्रमण हुआ, तो कभी समुद्र सिरे से गायब हो गया।

उन्होंने कहा, नर्मदा घाटी में मिले विभिन्न जीवाश्म करोड़ों साल पुरानी जैव विविधता का खुलासा करते हैं, जो अलग-अलग कालखंडों में तमाम भौगोलिक बदलावों के बावजूद आश्चर्यजनक रूप से बरकरार रही है। (भाषा)

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