अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा ने पृथ्वी से परे अन्य ग्रहों पर जीवन के एक नए रूप की संभावना उद्घाटित की है। कई दिनों से चल रही अटकलों का अंत करते हुए गुरुवार तीन दिसंबर को एक पत्रकार सम्मेलन बुलाकर नासा ने बताया कि उसे स्वयं पृथ्वी पर ही एक बैक्टीरिया के रूप में जीवन का एक ऐसा उदाहरण मिला है, जो जीवन की अब तक की परिभाषाओं के अनुसार संभव नहीं होना चाहिए।
नासा की इस खोज को विज्ञान जगत में एक सनसनीपूर्ण घटना माना जा रहा है। सभी का मत है कि इस अकल्पनीय खोज से जीवन की परिभाषा को अब बदलना पड़ेगा।
इस बैक्टीरिया को GFAJ-1 नाम दिया गया है। वह आलू का सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोपिक) नमूना लगता है। अमेरिका में कैलीफ़ोर्निया की मोनो लेक कहलाने वाली खारे पानी की झील उसका घर है। इस झील के पानी में आर्सेनिक (संखिया) नाम के जहर का संसार भर में सबसे ऊँचा अनुपात है। उसमें तो किसी जीवधारी का जीवित रहना ही मुश्किल होना चाहिए, लेकिन, जैसाकि नासा की खगोल जीववैज्ञानिक (एस्ट्रो- बायॉलॉजिस्ट) फ़ेलीसा वोल्फ़-साइमन ने बताया, जीवित रहना तो क्या, GFAJ-1 इस संखिया जहर पर ही जीता है। संसार भर में ऐसा कोई दूसरा बैक्टीरिया नहीं है, जो संखिया जहर खा कर जीता हो। अब तक यही माना जाता था कि छह रासायनिक तत्वों - ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन, गंधक (सल्फर) और फ़ॉस्फ़ोरस - के मेल के बिना कोई जीवन संभव नही है। GFAJ-1 की आणविक (मॉलेक्युलर) संरचना में आर्सेनिक का वही स्थान है, जो अन्य जीवधारियों में फ़ॉस्फ़ोरस का है। सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) के नीचे वह आलू के समान दिखता है और मोनो लेक की तलहटी में रहता है। उसे फ़ॉस्फ़ोरस की कोई ज़रूत ही नहीं महसूस होती।नासा की इस खोज को विज्ञान जगत में एक सनसनीपूर्ण घटना माना जा रहा है। सभी का मत है कि इस अकल्पनीय खोज से जीवन की परिभाषा को अब बदलना पड़ेगा। इस खोज का दूसरा पक्ष यह है कि जरूरी नहीं है कि अन्य ग्रहों पर भी जीवन का वैसा ही रूप और आधार हमें मिले, जैसा पृथ्वी पर हर जगह मिलता है। इतरलोकीय सभ्यताओं की खोज में जुटे सेटी (SETI) के शोधकेंद्र की निदेशक जिल टार्टर ने इसे एक भारी प्रगति बताते हुए कहा, 'मैं नहीं कह सकती कि इसे जीवन का एक संभावित अपार्थिव (एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल) रूप मानना चाहिये या नहीं, लेकिन जिसे हम जीवन कहते हैं, उसके साथ संगति बैठाने का यह एक अपूर्व नमूना ज़रूर है। एक ऐसा नमूना, जिसे हम अब तक असंभव मान रहे थे। हर हाल में इससे कहीं भी जीवन उत्पत्त होने की संभवना बढ़ तो जाती ही है।'खगोलविद कहते हैं कि अंतरिक्ष में दूरदराज के किन्हीं ग्रहों पर हम मनुष्यों जैसे जीवधारी मिल सकना बहुत ही दुर्लभ है। पर स्वयं पृथ्वी पर की एक खारी झील में संखिया खाकर जीने वाले बैक्टीरिया के मिलने से यह संभावना निश्चित रूप से बढ़ गई लगती है कि बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म जीव अंतरिक्ष में जीवन के लिए असंभव जैसी परिस्थितियों में भी मिल सकते हैं।
रिपोर्ट - बॉन, जर्मनी से...