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प्रलय की नई तारीख : उल्कापिंड करेगा धरती को तबाह

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धरती पर कब प्रलय आएगी इस बात की घोषणा धर्म के तथाकथित जानकार करते रहे हैं। लेकिन उनके द्वारा बताई गई तारीख को जब प्रलय नहीं आती है तो वह प्रलय नहीं आने के नए कारण को गढ़ कर प्रलय की नई तारीख बता देते हैं।

लेकिन यहां जो तारीख बताई जा रही है वह किसी धर्मवेत्ता द्वारा नहीं बल्कि वैज्ञानिकों की आशंका के चलते यह नई तारीख सामने आई है।

उल्कापिंडों ने समय समय पर धरती पर विनाश लीला रची है। उनके कारण धरती से डायनोसोर के अलावा कई जीव-जंतु लुप्त हो गए हैं और धरती से एक बार जीवन भी लुप्त हो चुका है।

वैज्ञानिक मानते हैं कि कोई विशालकाय उल्कापिंड धरती पर महाविनाश ला सकता है। रोज ही धरती पर उल्कापात होता रहता है। ये उल्काएं धरती के वायुमंडल में आ कर छोटे छोटे पत्थरों के रूप में धरती पर बिखर जाते हैं। इस तरह धरती पर रोज ही लगभग 3 हजार उल्काओं की बरसात होती रहती है।

लेकिन वैज्ञानिकों ने एक ऐसा उल्कापिंड ढूंढ लिया है जो अंतरिक्ष से धरती की ओर तेज गति से आ रहा है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर यह विनाशयात्रा इसी तरह जारी रही तो 1 फरवरी 2019 को वह पूरी तीव्रता के साथ धरती से टकरा जाएगा और धरती पर तबाही का मंजर होगा।

बीबीसी की खबर अनुसार इस उल्कापिंड का नाम वैज्ञानिकों ने 2002-एनटी-7 रखा गया है और इसके बारे में वैज्ञानिकों को 2002 में ही पता चल गया था। इसको अब तक का सबसे विनाशकारी उल्कापिंड इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इसकी तीव्रता काफी अधिक है।

इसकी चमक से वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि यह दो किलोमीटर चौड़ा है और अगर यह धरती से टकराया तो एक महाद्वीप के क्षेत्रफल में संपूर्ण विनाश हो जाएगा।

हालांकि इस उल्कापिंड की प्रकृति के बारे में अध्ययन और शोध जारी है। इस बात का और गहराई से पता लगाया जा रहा है कि क्या इसके रास्ते में धरती का आना अवश्यंभावी है।

सबसे पहले अमेरिका के न्यू मैक्सिको शहर की लीनियर वेधशाला में पांच जुलाई 2002 को इसे देखा गया था। तब से दुनिया भर के कई अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।

एनटी-7 के बारे में : एनटी-7 सूर्य की परिक्रमा 837 दिन में पूरी करता है। इसका रास्ता धरती के रास्ते को कई बार काटता है। इस उल्कापिंड की कक्षा पृथ्वी की कक्षा की ओर झुकी है।

शोधकर्त्ताओं का अनुमान है कि 1 फरवरी 2019 को धरती से टकराने की स्थिति में इसकी गति 28 किलोमीटर प्रति सेकेंड होगी। हालांकि वैज्ञानिक कहते हैं कि इस उल्कापिंड का रास्ता बदल भी सकता है।

ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती पर प्रलय अर्थात जीवन का विनाश तो सिर्फ सूर्य, उल्कापिंड या फिर सुपर वॉल्कैनो (महाज्वालामुखी) ही कर सकते हैं। हालांकि कुछ वैज्ञनिक कहते हैं कि सुपर वॉल्कैनो पृथ्वी से संपूर्ण जीवन का विनाश करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि कितना भी बड़ा ज्वालामुखी होगा वह अधिकतम 70 फीसदी पृथ्वी को ही नुकसान पहुंचा सकता है।

अब जहां तक सवाल उल्कापिंड का है तो खगोलशास्त्रियों को धरती के घूर्णन कक्षा में हजारों उल्कापिंड दिखाई देते हैं, जो धरती को प्रलय के मुहाने पर ला सकेत हैं। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि कोई भयानक विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के चंगुल में फंस जाए तो तबाही निश्चित है।
- वेबदुनिया डेस्क

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