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बिना सुरक्षा अतंरिक्ष में जी सकते हैं ‘वॉटर बियर’

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हमें फॉलो करें बिना सुरक्षा अतंरिक्ष में जी सकते हैं ‘वॉटर बियर’

संदीपसिंह सिसोदिया

पृथ्वी के सबसे मजबूत जीव माने जाने वाले एक छोटे से जीव ने कई मायनों में इंसान पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर दी है। देखा जाए तो इंसान के पास क्या नहीं है...दिमाग है, सोचने-समझने की क्षमता है। यही कारण है कि वह अंतरिक्ष, यहाँ तक की चाँद पर भी जाकर आ गया है। लेकिन क्या इंसान बिना किसी सुरक्षा उपकरण के अंतरिक्ष के हालात का सामना कर सकता है? स्वभाविक तौर पर नहीं, पर इस धरती पर एक छोटा-सा जीव ऐसा भी है जो बिना किसी सुरक्षा उपकरण के स्पेस की सारी विकट परिस्थितियों को सहते हुए जीवित वापस आ सकता

हम बात कर रहे हैं वॉटर बियर की, जिनका वैज्ञानिक नाम टार्डीग्रेड्स है। ये काई और नमी वाले स्थानों पर पाए जाने वाले बहुत छोटे जीव हैं।

कैसे होते हैं वॉटर बियर: माइक्रोस्कोप से देखे जा सकने वाले टार्डीग्रेड्स कुछ-कुछ भालू जैसे दिखते हैं पर इनके के आठ पैर होते हैं। ये नन्हे प्राणी अधिकतर पानी और नमी में पाए जाते है इसीलिए इन्हे वॉटर बियर नाम दिया गया है। वैज्ञानिको ने इन्हें टार्डीग्रेड्स नाम इसलिए दिया है, क्योंकि ये बहुत धीमी गति से चलते हैं। वॉटर बियर का औसत आकार 0.5 मिलीमीटर से 0.1 मिलीमीटर होता है।
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वॉटर बियर दुनिया के सभी कोनों में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इन पर किए लंबे अध्ययन के बाद पता लगाया था कि ये धरती पर हर तरह की परिस्थितियों में रह सकते हैं, चाहे वह 6000 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय हो या 4000 मीटर की गहराई पर समुद्र।

कहाँ-कहाँ नहीं परखा: वैज्ञानिकों ने इससे पहले वाटर बियरों पर कई तरह के प्रयोग किए थे। असल में विशेषज्ञ यह देखना चाहते थे कि यह जीव किन-किन परिस्थितियों में जीवित रह सकता है। इन्हें गर्म पानी में उबाला गया, माइनस 273.15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा गया, वायुमंडल से कई गुना अधिक दबाव ड़ाला गया, लेकिन इनका बाल भी बाँका नहीं हुआ, यानी ये दोबारा उठ खड़े हुए।

वॉटर बियरों को बहुत ही शुष्क परिस्थितियों में भी रखा गया। सोचा गया था कि पानी ही इनके जीवन का मुख्य स्रोत है, तो इसके बिना ये जिंदा नहीं रह पाएँगे, लेकिन यहाँ भी आश्चर्यजनक तरीके से ये जीवित रहे।

अब स्पेस में भी : 2008 में नासा ने एक अभियान के अंतर्गत 3000 वॉटर बियरों को अंतरिक्ष यान फोटोन-एम3 के एक चैम्बर में भरकर अतंरिक्ष में छोड़ा गया। वैज्ञानिकों का उद्देश्य यह जाँचना था कि क्या ये अतंरिक्ष के बेहद विकट हालातों का सामना कर पाते हैं या नहीं?

इस प्रयोग के परिणाम चौंकाने वाले रहे। मालूम हुआ कि वॉटर बियर अंतरिक्ष के विषम वातावरण में भी जीवित रहने का सामर्थ्य रखते हैं। यह प्रयोग यूरोपियन स्पेस एजेंसी की मदद से किया गया था।

अध्ययन करने वाले दल के प्रमुख डॉक्टर इंगेमर जॉनसन ने बताया कि हमने मोटेतौर पर यह पता लगाया कि वॉटर बियर पर अंतरिक्ष के निर्वात का कोई असर नहीं होता है। डिहाइड्रेशन और अंतरिक्षीय विकिरणें इनके लिए कोई समस्या पैदा नहीं करती हैं।

आखिर नन्हें वॉटर बियरों में ऐसी कौन-सी खूबी है, जिसके चलते वे अतंरिक्ष में भी बिना किसी सहारे के जिंदा रह गए? यदि वॉटर बियर ऐसा कर सकते हैं तो इंसान क्यों नहीं?
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वॉटर बियरों ने अंतरिक्ष में सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणों का भी सामना किया, जिनका असर वहाँ पृथ्वी की तुलना में 1000 गुना अधिक होता है।

जॉनसन ने बताया कि अल्ट्रा वायलेट विकिरणों ने कुछ वॉटर बियरों को जरूर नुकसान पहुँचाया, लेकिन वे जिंदा रहे। कुछ वॉटर बियरों के डीएनए को क्षति पहुँचाई, लेकिन कुछ छोटे जीवों ने आश्चर्यजनक रूप से दोबारा यह सामर्थ्य हासिल कर ली।

कैंसर इलाज होगा आसान : वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन के बाद कैंसर के इलाज में मदद मिलेगी। जॉनसन के अनुसार फिलहाल कैंसर का इलाज विकिरण पद्धति से किया जाता है, लेकिन इससे स्वस्थ्य कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचता है।

उनके मुताबिक, इस प्रयोग के बाद अगर हम यह साबित कर दें कि डीएनए को रिपेयर किया जा सकता है, तो विकिरण पद्धति में सुधार किए जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यह कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

...लेकिन सबसे बड़ी चुनौती : अब वैज्ञानिकों से सामने सबसे बड़ी चुनौती यह पता लगाने की है कि आखिर नन्हें वॉटर बियरों में ऐसी कौन-सी खूबी है, जिसके चलते वे अतंरिक्ष में भी बिना किसी सहारे के जिंदा रह गए? यदि वॉटर बियर ऐसा कर सकते हैं तो इंसान क्यों नहीं? उम्मीद है आने वाले दिनों में इनसान इस नन्हें प्राणी से शायद यह भी सीख सके।

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