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मंगल से हुई इंसानी जैविक उत्पत्ति

ज्योति देवी

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, सोमवार, 23 मई 2011 (10:47 IST)
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हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संयुक्त पैनल के शोधकर्ताओं ने उस रहस्य से पर्दा हटाने के लिए एक उपकरण की खोज तकरीबन कर ली है जिससे अगले दो सालों में पता चल जाएगा कि इंसानी जैविक उत्पत्ति कहां से हुई।

मिशन के शुरुआती दौर से ही इसके सफल संकेत मिलने लगे हैं कि मंगल ग्रह पर चलने वाली तेज सर्द हवाओं के कारण हमारे जैविक निशान सुरक्षित रह गए हैं, जो धरती से काफी समय पहले ही मिट चुके हैं। जीवन का पता करने के लिए ईजाद किए गए इस उपकरण को सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रीयल जिनोम यानी एगमार्ग का नाम दिया गया है।

यह उपकरण लाखों वर्ष पहले की स्थितियों और परिस्थितियों का आकलन करेगा। वहां से प्राप्त अवशेषों की डीएनए जांच के आधार पर ही पता लगाया जाएगा कि आखिर इंसानी जीवन की सच्चाई क्या है? यह उपकरण डीएनए की जांच के लिए आधुनिक तौर पर पूरी तरह से सक्षम होगा।

मिशन के प्रमुख शोधकर्ता रॉबर्ट डी काई के अनुसार पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत मंगल ग्रह से आए उल्का पिंडों में मौजूद जीवाणुओं से हुई है लेकिन इस बात पर अभी थोड़ा-सा रहस्य बरकरार है। बहरहाल, जो आशंका है वह दो वर्ष के अंदर एसईटीजी के डीएनए से दूर हो जाएगी। हालांकि मानव वंश की खोज के लिए कई रिसर्च, भविष्यवाणियां और पूर्वानुमान आदि हुए लेकिन कोई भी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाया। रहस्य लाखों वर्षों से यूं ही बरकरार रहा है।

मिशन के एक अन्य शोधकर्ता वैज्ञानिक ने दावा किया है कि अगर हम अपने मिशन में पूरी तरह से सफल हुए तो मंगल पर जीवन की तलाश भी जल्द ही कर सकेंगे, क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि मंगल ग्रह पर मानव रह सकता है। अब तक के शोध में पाया गया है कि वहां काफी मानव हुआ करते थे, चट्टानें, भूखंड, मकाननुमा अवशेष वहां पाए गए हैं। इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें वहां पाई गई हैं जिनसे वहां मानव जीवन होने का पता चलता है। वहां पानी होने के संकेत तो पहले ही मिल चुके हैं। मंगल ग्रह पर चलने वाली सर्द हवाएं इसका प्रमाण हैं, जो मानव जीवन के लिए पर्याप्त है।

शोधकर्ताओं ने प्रदर्शित किया है कि चट्टानों का मंगल ग्रह से धरती तक आना अन्य रास्तों के मुकाबले करीब सौ गुना आसान है। अगर वहां पर जीवन की शुरुआत पहले हुई होगी तो माइक्रोब्स यहां तक आ सकते हैं और पूरी मानव प्रजाति इन्हीं के वंशज रहे होंगे। अगर यह सच है तो हमारे पड़ोसी ग्रहों पर बायोकेमेस्ट्री के अध्ययन के जरिए हमारी जैविक उत्पत्ति की जानकारी हासिल करना सरल हो सकता है।

प्रसिद्ध वैज्ञानिक काई कहते हैं कि हाल में मंगल पर भेजे गए मिशन से यह पूरी तरह साफ हो गया है कि मंगल ग्रह पर पानी अधिक मात्रा में उपलब्ध है, जो इंसानी जीवन के लिए जरूरी है। अत्यधिक ठंड होने के बावजूद वहां जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां हो सकती हैं।

अगर मंगल ग्रह पर जीवन जन्म ले सकता है तो धरती से आबादी का कुछ हिस्सा वहां शिफ्ट हो सकता है। तो इंतजार करें उपकरण के तैयार हो जाने का और फिर हो जाएं तैयार मंगल गृह पर अपना आशियाना बनाने के लिए।

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