हाल में किए गए एक प्रयोग से पता चला है कि यदि मधुमक्खियों को नींद से वंचित रखा जाए, तो वे अच्छी तरह नृत्य नहीं कर पातीं। मधुमक्खियों में नृत्य संवाद व संप्रेषण की एक प्रमुख विधा है।
गौरतलब है कि मधुमक्खियों में छत्ते के पास आकर नृत्य करने की एक विशिष्ट शैली होती है। इस नृत्य के तरीके से शेष मधुमक्खियों को पता चल जाता है कि भोजन का स्रोत किस दिशा में है और छत्ते से कितनी दूरी पर है। इसके अलावा इसी नृत्य में यह सूचना भी संप्रेषित होती है कि भोजन के उस स्रोत में कितना भोजन उपलब्ध है।
ऐसा देखा गया है कि अन्य जंतुओं के समान मधुमक्खियाँ (एपिस मेलिफेरा) भी नियमित रूप से निष्क्रियता की एक अवस्था से गुजरती हैं जिसे नींद के समकक्ष माना जा सकता है। अब टेक्सास विश्वविद्यालय (अमेरिका) के स्नातक छात्र बैरेट क्लाइन ने मधुमक्खियों में नींद का अध्ययन किया है।
उनका कहना है कि नींद न मिलने पर मधुमक्खियों का व्यवहार काफी प्रभावित होता है। खास तौर पर तब जब उन्हें लंबी दूरी से भोजन प्राप्त करना होता है, उनके छत्ते पर किसी शिकारी का हमला हो जाता है या जब मधुमक्खी पालक छत्ते को दूर-दूर ले जाते हैं।
इसके लिए 25 मधुमक्खियों के शरीर पर चुंबकीय चकती लगाई गई, जबकि 25 अन्य मधुमक्खियों के शरीर पर अचुंबकीय चकतियाँ लगाई गईं।
छत्ते के पास एक चुंबक को लगातार गति में रखने के कारण चुंबकीय चकत्तियों वाली मधुमक्खियाँ सो नहीं पाती थीं। यह देखा गया कि चुंबकीय चकती वाली (यानी नींद से वंचित मधुमक्खियाँ) बाद में अपने नृत्य के द्वारा भोजन स्थल की दिशा बताने में असमर्थ रहीं। अलबत्ता, भोजन स्थल की दूरी बताने की उनकी क्षमता पर कोई खास असर नहीं हुआ।