संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वर्ष 2010 तीन सर्वाधिक गर्म वर्षों में शुमार होने जा रहा है जबकि बीता दशक भी सबसे गर्म रहा।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन डब्लयूएमओ ने मेक्सिको के कानकुन में जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 1850 से धरती के तापमान का रिकॉर्ड रखा जा रहा है और तब से अब तक 1998 और 2005 सबसे गर्म वर्ष रहे हैं और 2010 के अब तक के प्राप्त आँकड़ों के अनुसार यह वर्ष अधिकतम तापमान के मामले में मामूली वृद्धि के साथ इन दोनों को पीछे छोड़ने जा रहा है।
डब्ल्यूएमओ के अनुसार धरती और समुद्र के सतह का तापमान इस वर्ष अब तक 1961 से 1990 के औसत 14 डिग्री सेल्सियस से शून्य दशमलव 55 डिग्री सेल्सियस अधिक है। वर्ष 2001 से 2010 का दशक सबसे गर्म दशक रहा।
डब्ल्यूएमओ के प्रमुख मिशेल जरौड ने कहा कि अब तक के मौसम का मिजाज बहुत ही गर्म रहा है। यदि तापमान कम करने की दिशा में कुछ नहीं किया गया तो यह उत्तरोत्तर बढ़ता ही जाएगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तथा एशिया और आर्कटिक के कुछ हिस्सों में खास तौर पर मौसम गर्म रहा। पाकिस्तान का अधिकतम तापमान 53 दशमलव पाँच डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड था जो 1942 से अब तक एशिया का सबसे ज्यादा तापमान है।
यूरोप में पड़ रही कड़ाके की ठंड की ओर ध्यान आकर्षित किए जाने पर उन्होंने आगाह किया कि किसी भी क्षेत्र विशेष के तापमान के आधार पर विश्व के तापमान का अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 के तापमान के अंतिम आँकड़े 2011 की शुरुआत में प्रकाशित किए जाएँगे लेकिन अभी तक के आँकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 2010 सबसे गर्म वर्ष होने जा रहा है।