वैज्ञानिकों ने दुनिया की ऐसी पहली व्यावहारिक कृत्रिम पत्ती विकसित कर ली है जो सूर्य की रोशनी से पानी और ऊर्जा का उत्पादन कर सकती है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि इस खोज से भारत जैसे विकासशील देशों में उर्जा के सस्ते स्रोत का रास्ता तैयार होगा।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी के एक दल ने कहा कि सिलिकान, इलेक्ट्रॉनिकी और विभिन्न उत्प्रेरकों की मदद से तैयार कृत्रिम पत्ती से ऐसी रासायनिक प्रतिक्रियाएँ की जा सकती हैं जो सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल कर एक पृथक ईंधन सेल में बिजली का उत्पादन कर सकती है।
दल का नेतृत्व कर रहे डेनियल नोसेरा ने कहा कि दशकों से एक व्यावहारिक कृत्रिम पत्ती का विकास करना वैज्ञानिकों का सपना था। हमारा मानना है कि हमने इस काम को कर लिया है। पानी के गैलन में सूर्य की रोशनी में छोड़ देने पर यह कृत्रिम पत्तियाँ विकासशील देशों में एक दिन की बिजली का उत्पादन कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हर घर अपना बिजली केन्द्र खुद बना ले। आप यह मान सकते हैं कि भारत और अफ्रीका जैसे देशों के गांव इस तकनीक पर आधारित बिजली संयंत्र को वहनीय मूल्यों पर हासिल कर सकेंगे।
वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान के लिए सस्ते, निकल और कोबाल्ट जैसे आम उत्प्रेरकों का पता लगाया जो कम दाम पर काम कर सकें। प्रयोगशाला में ताश के पत्तों के आकार वाली कृत्रिम पत्तियों ने 45 घंटों तक लगातार काम किया और बदले में एक बूंद पानी का उत्पादन भी नहीं किया।
प्रयोगशाला में कृत्रिम पत्ती का एक प्रोटोटाइप कम से कम 45 घंटे तक लगातार काम करता रहा लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अब वे अपने प्रकाशसंश्लेषी पदार्थ की क्षमता और जीवनकाल को और अधिक बढ़ाने की कोशिश करेंगे। इस खोज को अमेरिकन केमिकल सोसायटी की राष्ट्रीय बैठक में पेश किया गया। (भाषा)