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शब्द सुनकर उन्हें याद कर लेते हैं बंदर

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लंबे समय से धारणा रही है कि सही और गलत शब्दों के बीच अंतर पहचानने की मानवीय योग्यता बोली गई भाषा से विकसित होती है क्योंकि बच्चे पहले से ही मौखिक भाषा को समझने की योग्यता के आधार पर अक्षर विन्यास समझते हैं। लेकिन अब फ्रांस के अनुसंधानकर्ताओं ने बंदरों पर अध्ययन करके उक्त धारणा को चुनौती दी है।

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उन्होंने साबित करने का प्रयास किया है कि बंदर शब्दों के अक्षरों के विशेष संयोजनों को देखकर उन्हें पहचान सकते हैं और विसंगतियों को भी समझ सकते हैं, जिन्हें अब तक बोलकर ही समझने की बात कही जाती रही है।

अध्ययन के अनुसार पढ़ने की समझ आने का मतलब केवल बोलने से नहीं है बल्कि शब्द बनाने वाले अक्षरों को पहचानने और उनके नियमित पैटर्न को याद करने से भी है। यह बात सीएनआरएस. .एआईएक्स.मार्सील्ली यूनिवर्सिटी के लैबोरेटायर डि साइक्लॉजी कॉग्निटिव के अनुसंधानकर्ताओं ने कही है।

प्रयोग में बंदरों को टच स्क्रीन पर चार.चार अक्षरों वाले अंग्रेजी के शब्द दिखाये गये और उन्हें प्रशिक्षण दिया गया कि सही शब्द बोले जाने पर वह टच स्क्रीन पर अंडाकार आकृति को दबाएं तथा सही नहीं लगने पर क्रॉस की आकृति पर बटन दबाएं।

कुछ ही दिनों में देखा गया कि अथक प्रयासों के बाद बंदरों ने अंग्रेजी के शब्दों में पहचान करनी शुरू कर दी और उदाहरण के तौर पर वह ‘बैंक’ शब्द की तरह एक निर्थक शब्द ‘जैंक’ में भेद करने लगे।

रोचक बात यह है कि बंदरों ने कई सारे शब्दों का उच्चारण याद करने के बाद उन शब्दों में भी सही.गलत की पहचान कर ली जिन्हें कभी उन्हें दिखाया नहीं गया।

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार बंदर भी लगातार बोले जाने वाले अंग्रेजी शब्दों के अक्षर विन्यास को समझते हैं और याद कर लेते हैं। (भाषा)

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