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सर्न को मिला ब्रह्मांड के सृजन का सिरा

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जेनेवा , बुधवार, 14 दिसंबर 2011 (08:54 IST)
जेनेवा के निकट सर्न अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्रह्मांड के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हिग्स बोसोन के अस्तित्व का सिरा मिल गया है। हालाँकि उन्हें अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने योग्य आधार नहीं मिला है। भौतिकी नियमों के अनुसार हिग्स बोसोन विश्व की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला तत्व है।

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ब्रिटेन के लीवरपुल विवि में भौतिकी के प्रोफेसर थीम्स बोकॉक ने कहा कि अगर हिग्स तत्व के अस्तित्व की पुष्टि होती है तो यह शताब्दी की सबसे बड़ी खोज होगी। भौतिक विज्ञानी ब्रह्मांड की रचना के ऐसे महत्वपूर्ण रहस्य से पर्दा उठा देंगे, जो ब्रह्मांड की रचना का महत्वपूर्ण आधार है।

एटलस और सीएमएस अनुसंधान केंद्रों पर प्रयोग कर रहे वैज्ञानिकों ने अपनी उपलब्धि सर्न के एक सेमिनार में सबके सामने रखी। सर्न में वैज्ञानिक हिग्स बोसोन तत्व को प्रयोगशाला में निर्मित करने के लिए विशाल हाइड्रोजन कोलाइडर में तेज गति से अणुओं की टक्कर का प्रयोग कर रहे हैं।

सीएमएस के वरिष्ठ वैज्ञानिक ऑलिवर बुचमुलर ने कहा कि दोनों ही प्रयोग आरंभिक रूप से एक ही ओर इशारा कर रहे हैं। एटलस प्रयोग के प्रभारी वैज्ञानिक फेबिओला जिआनोटी ने कहा कि उन्होंने अनुसंधान को एकल केंद्र पर सीमित किया है और 126 गिगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट पर इसे किया जा रहा है। यह मानक हिग्स मॉडल की अनुमानित शक्ति के समान है। इस प्रयोग के सफल होने से ब्रह्मांड के निर्माण में भूमिका निभाने वाला महत्वपूर्ण तत्व मिल जाएगा।

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क्या है हिग्स बोसोन : हिग्स बोसोन वह तत्व है, जिसे ब्रह्मांड के सृजन में अहम तत्व माना जाता है। इस तत्व की खोज वैज्ञानिक सर्न में कर रहे हैं। इस तत्व की अवधारणा भारतीय भौतिकी वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस और ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिंगिस ने दी थी। इन दोनों वैज्ञानिकों के नाम लेकर इस तत्व को हिग्स बोसोन नाम दिया गया है।

क्या है बिग बैंगः करोड़ों साल पहले ब्रह्मांड अत्यधिक सघन था और एक विस्फोट के बाद इसका विस्तार हुआ। इस विस्फोट को ही बिग बैंग कहा गया है। विस्फोट ने सघन पिंड को बिखेर दिया और इसके अंश अंतरिक्ष में फैल गए, जो अभी भी गतिमान हैं।

क्या है सीएमएस : द कॉम्पेक्ट म्यओन सॉलिनाइड एक्सपेरीमेंट (सीएमएस) सीएमएस प्रयोग सेंटर में प्रोटोन और भारी आयन बहुत तेज गति से आपस में टकराते हैं।

क्या है प्रयोग : ब्रह्मांड की रचना के समय बिग-बैंग के ठीक बाद मतलब सैकंड के करोड़वें हिस्से में जो परिस्थितियाँ बनीं, वही प्रयोगशाला में बनाई जा रही हैं।

क्यों किया जा रहा है : हिग्स बोसोन, सुपर सिस्टमेटिक पार्टिकल, ग्रेविटन, नए आभासी तत्व जैसे माइक्रो ब्लैक होल व बहुत सघन और गर्म परिस्थितियों को देखने के लिए।

प्रयोग समझाएगा : यह ब्रह्मांड ऐसा क्यों है, कुछ तत्व अन्य के मुकाबले वजनी क्यों है, डार्क मैटर का कारण क्या है, ब्रह्मांड के अन्य पहलू क्या हैं, शुरू में गर्म और सघन पदार्थ कैसा था।

हम उत्साहित है मंजिल अभी दूर है : महाप्रयोग और 'हिग्स - बोसोन' तत्व को खोजे जाने को लेकर सर्न के वैज्ञानिकों द्वारा की गई घोषणा के बारे में सर्न के जेनेवा केंद्र में कार्य कर रहीं वैज्ञानिक अर्चना शर्मा ने कहा कि आज जिन परिणामों की घोषणा की गई है वो निश्चित ही यहां के सभी वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ाने वाले हैं।

हम सृष्टि के रहस्य खोलने वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं और हमें उम्मीद है कि दरवाजा खुलेगा। ये दरअसल भूसे के बहुत बड़े ढेर में सुई खोजने जैसा है। अभी हमें सुई तो नहीं मिली है पर सुई जैसा कुछ मिला है। किसी भी प्रयोग की सफलता के लिए 5 सिग्मा के स्तर के परिणाम जरूरी हैं।

अभी जो परिणाम मिले हैं उनमें से एक 3.5 सिग्मा का है और दूसरा 2.8 सिग्मा का। ऐसे में यह एक अहम पड़ाव तो है, लेकिन मंजिल अभी दूर है। अगर इस प्रयोग का अंतिम निष्कर्ष नकारात्मक भी हुआ तो भी ये बड़ा निष्कर्ष होगा। (नईदुनिया/एजेंसी)

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