Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सावधान! अंतरिक्ष से आ रहा है प्रलय...

Advertiesment
हमें फॉलो करें सावधान! अंतरिक्ष से आ रहा है प्रलय...
FILE
प्रलय यानी महाविनाश! सर्वनाश!! इसकी कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं और यदि यह हकीकत में आ जाए तो संभव है कि मौत की आहट मात्र से ही व्यकित काल के गाल में समा जाए।

हालांकि हमने धरती के विनाश की कई 'धार्मिक' भविष्यवाणियों को दम तोड़ते हुए देखा है, लेकिन ऐसी ही एक ताजा आशंका के असर को देखने के लिए लंबा इंतजार करना होगा, जब एक क्षुद्रग्रह धरती से आकर टकराएगा।

हालांकि यह कोई ज्योतिषी या धर्मगुरु की भविष्यवाणी नहीं है, यह खगोलविदों का आकलन है। दरअसल, '1950 डीए' नामक एक क्षुद्रग्रह पृथ्‍वी की ओर बढ़ रहा है। हालांकि इसके पृथ्‍वी से टकराने की आशंका 0.33 प्रतिशत ही है, लेकिन प्रलय की आशंका जता रहे लोग इस मामूली प्रतिशत को भी महत्व देते हुए कह रहे हैं कि प्रलय तो पल भर का खेल है।

आखिर यह संभावित प्रलय दो दिन, दो माह या ‍फिर दो साल में नहीं होने जा रहा है। इसके लिए लंबा इंतजार करना होगा, लेकिन खतरा तो है। इससे हम न सही, लेकिन आने वाली पीढ़ियां तबाह हो सकती हैं। खगोलविदों का आकलन है कि यह क्षुद्रग्रह 16 मार्च 2880 को धरती से टकरा सकता है और पूरी मानव सभ्यता को तबाह कर सकता है।

नासा के वैज्ञानिकों की निगाह में '1950 डीए' नामक एक ऐसा क्षुद्रगह या ग्रहिका आफत बनी हुई है, जो 16 मार्च 2880 को धरती से टकराने के मार्ग पर है। जोखिम के प्रभाव की तुलना में यह अन्य सभी क्षुद्रग्रहों से पचास फीसदी ज्यादा भारी है और अगर यह धरती से टकराता है तो यह 44800 मेगाटन (टीएनटी) की ताकत से काम करेगा।

कितनी तेजी से बढ़ रहा है यह क्षुद्र ग्रह... पढ़ें अगले पेज पर...


webdunia
FILE
अपने व्यास में एक मील का दो-तिहाई यह क्षुद्रग्रह नौ मील प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि चिंता की कोई वजह नहीं है। भविष्य में जरूरत पड़ने पर वे सूर्य के प्रकाश और परावर्तन के जरिए इसका मार्ग बदल सकते हैं, तब तक तकनीक और विकसित हो जाएगी।

तकनीक पर भविष्य की पीढियों में विश्वास के चलते फिलहाल वैज्ञानिक इस क्षुद्रग्रह के कई तरह के अध्ययनों में जुटे हैं। गौरतलब है कि अब तक नासा के वैज्ञानिक 10 हजार से अधिक कई आकार-प्रकार वाले 'नीयर टु ऑब्जेक्ट' (एनईओ) क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं की पहचान कर चुके हैं, जो पृथ्वी की कक्षीय दूरी में 28 मिलियन मील की पहुंच में है। पढ़ें अगले पेज पर... क्या है क्षुद्र ग्रह का इतिहास...

webdunia
FILE
छुद्र ग्रह का इतिहास : इनमें से बमुश्किल 10 फीसदी ही एक मील के छठवें हिस्से के बराबर आकार वाले हैं या कि जिनका धरती से मिलन वैश्विक विनाशकारी प्रभाव पैदा कर सकता है।

गौरतलब है कि अगर कोई धूमकेतु या क्षुद्रग्रह धरती और सूरज के बीच की एक तिहाई दूरी यानी 480 लाख किलोमीटर दूरी तय करे तो इसे 'नियर अर्थ ऑब्जेक्ट' कहा जाता है। नासा ऐसे पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में मंडरा रहे ऐसे ही नियर अर्थ ऑब्जेक्ट पर निगरानी रखने की एक परियोजना पर काम करती है।

नासा द्वारा देखे गए नियर अर्थ ऑब्जेक्ट में से यह भी एक है। सबसे पहले फरवरी 1950 में देखा गया '1950 डीए' एक 1.1 किमी. चौड़ा क्षुद्रग्रह था, जो 17 दिन तक लगातार दिखा और फिर ओझल हो गया। इसके बाद यह 21वीं सदी की पूर्व संध्या यानी 31 दिसंबर 2000 को फिर दृष्टिगोचर हुआ। मार्च, 2001 में कुछ सप्ताह तक राडार से मिले संदेशों के आधार पर इसकी उच्च रोटेशन दर (2.1 घंटा) और प्रक्षेपवक्र को ध्यान में रखते हुए आकलन किया गया कि यह 16 मार्च 2880 को पृथ्वी के करीब आएगा। इतने करीब आ जाएगा कि इसके धरती से टकराव की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकेगा।

यदि यह पृथ्वी से टकराया तो क्या होगा... पढ़ें अगले पेज पर...


webdunia
FILE
अगर पृथ्वी से टकराता है : अगर '1950 डीए' पृथ्वी से टकरा गया तो क्या होगा? इस सवाल का जवाब बहुत कुछ इसकी रचना, गति, कोण आदि के प्रभाव पर निर्भर करता है।

धरती के इतिहास में इस आकार के क्षुद्रग्रहों ने तबाही मचाई है। मिसाल के लिए मशहूर 'के/टी' के असर ने 65 मिलियन वर्ष पूर्व डायनासोर युग का खात्मा कर दिया था।

अगर लगभग दो-तिहाई मील व्यास वाला '1950 डीए' धरती से आ टकराता है तो लाखों मेगावाट की यह एनर्जी हिरोशिमा से हजारों गुना ज्यादा बड़ी तबाही का कारण बन सकती है। यह न केवल धरती का बहुत बड़ा हिस्सा चौपट कर देगा बल्कि धूल और मलबे का एक ऎसा गुबार उठेगा, जिसके आगे सूरज की रोशनी भी नीचे नहीं उतर सकेगी और जीवों का व्यापक पैमाने पर नाश होगा। यह 38000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अटलांटिक महासागर में धमक सकता है और इससे अटलांटिक के तट पर सुनामी की 400 फीट ऊंची लहरें उठ सकती हैं।

कितनी है जोखिम... पढ़ें अगले पेज पर...


नासा की जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों के राडार विश्लेषण और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों के आकलन और क्षुद्रग्रहों की अब तक की जानकारी के आधार पर '1950 डीए' के धरती से टकराने की संभावना 300 में से एक है।

एक नजर में यह आशंका बहुत कम लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह अब तक के सभी क्षुद्रग्रहों के औसत जोखिम की तुलना में 50 फीसदी अधिक जोखिम का प्रतिनिधित्व करता है। टकराव की संभावना की ऊपरी सीमा बढ़ भी सकती है, जब वैज्ञानिक इस क्षुद्रग्रह का और अधिक अध्ययन कर सकेंगे। राडार के माध्यम से '1950 डीए' का अध्ययन करने का अगला मौका 2032 में मिलेगा।

अगर कोई 150 मीटर चौड़ा धूमकेतु धरती और चांद के बीच की दूरी से 20 गुना ज्यादा दूरी से धरती के निकट से गुजरे तो वैज्ञानिकों की नजरों में उस धूमकेतु या क्षुद्रग्रह को 'संभावित खतरनाक' माना जाता है।

5-10 मीटर तक चौड़े धूमकेतु साल में औसतन एक बार धरती की ओर आते हैं जिनसे बहुत जोरदार धमाकों के बराबर ऊर्जा पैदा होती है। ये उतनी ही ऊर्जा है जितनी ऊर्जा हिरोशिमा में परमाणु बम के विस्फोट के दौरान पैदा हुई थी। मीलों आकार या व्यास वाले क्षुद्रग्रह धरती पर तबाही मचा सकते हैं।

...और जब सब कुछ खत्म हो गया था... पढ़ें अगले पेज पर...


हालांकि निकट अतीत में किसी बड़े क्षुद्रग्रह के धरती से टकराने जैसी घटना नहीं घटी है, लेकिन ऐसी कोई घटना होती है तो इससे बड़ी विनाशलीला हो सकती थी।

पृथ्वी के कई भूभागों में करोड़ों साल पहले एकछत्र शासन करने वाले भीमकाय डायनासोरों का 6.5 करोड़ साल पहले उस समय खात्मा हो गया था जब लगभग नौ किलोमीटर आकार का एक क्षुद्रग्रह मैक्सिको के निकट चीकलूब नामक जगह पर पृथ्वी से टकराया था।

प्राणी विज्ञानियों का मानना है कि इस टक्कर से उठे विस्फोट से वैश्विक स्तर पर इतनी भयानक आंधियां चलीं कि उन्होंने आसमान को ढंक लिया और सूरज की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाने से तापमान इस हद तक गिर गया कि डायनोसोरों के रहने लायक परिस्थितियां ही नहीं बची और वे इस घटना के बाद समाप्त हो गए। लेकिन, भविष्य में क्या हो सकता है, इसकी मात्र कल्पना ही की जा सकती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi