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सोयूज की विफलता से अंतिरक्ष उड़ानों को नया धक्का

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हमें फॉलो करें सोयूज की विफलता से अंतिरक्ष उड़ानों को नया धक्का

राम यादव

, गुरुवार, 1 सितम्बर 2011 (18:08 IST)
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अमेरिका के शटल यान कार्यक्रम के अंत के बाद से शेष बचे तीनों शटल यान अब केवल संग्रहालयों की शोभा बढ़ाने लायक रह गए हैं। पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISI तक के फेरे लगाने के लिए उस के पास अब कोई यान नहीं है। वह पूरी तरह निर्भर है रूसी रॉकेट सोयूज और परिवहन यान प्रोग्रेस पर। लेकिन, अब तक पूरी तरह भरोसेमंद रहे सोयूज रॉकेट की गत 24 अगस्त वाली प्रक्षेपण-विफलता से अमेरिका ही नहीं रूस की चिंताएँ भी अचानक बढ़ गई हैं।

कह सकते हैं कि 'सिर मुँड़ाते ही ओले पड़े'। मुश्किल से एक ही महीने पहले अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण 'नासा' ने अपने अंतिम शटल यान एटलांटिस को सेवानिवृत्त किया है। उसने सोचा था कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS तक आने-जाने के लिए उस के अंतरिक्षयात्री भविष्य में अमेरिका की निजी कंपनियों द्वारा निर्मित कम खर्चीले यानों का उपयोग करेंगे। जब तक ऐसे यान उपलब्ध नहीं हैं, तब तक रूस के 'सोयूज' रॉकेटों, 'सोयूज' अंतरिक्षयानों व 'प्रोग्रेस' परिवहन यानों का उपयोग किया जा सकता है। वे भरोसेमंद भी हैं और सस्ते भी। अमेरिकी कंपनियों द्वारा निर्मित भावी अंतरिक्षयानों के आने में अभी कुछ वर्षों की देर है।

टेलीविजन पर सीधा प्रसारण : ISI पर के छह सदस्यों वाले वर्तमान कर्मीदल को नई रसद भेजने के लिए बुधवार, 24 अगस्त को ऐसी ही एक उड़ान होने वाली थी। मॉस्को में शाम के ठीक पांच बजे थे। उड़ान का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण हो रहा था। कजाखस्तान के बाइकोनूर रूसी अंतरिक्ष अड्डे से एक 'सोयूज-यू' रॉकेट आकाश की ओर उठा। उसे 'प्रोग्रेस एम-12एम' नाम के एक मानवरहित स्वचालित परिवहन यान को ISS की दिशा में उछालना था।

यह यान रॉकेट के सबसे ऊपर वाले तीसरे चरण में रखा था। सब कुछ ठीक चल रहा था। टेलिविजन पर साफ दिखाई पड़ रहा था कि रॉकेट के चार ईंजनों से निकल रही लपटों की चमक किस तरह सिकुड़ती हुई चार बिंदुओं का आकार लेती जा रही थी। रॉकेट के सबसे नीचे वाले पहले चरण का ईंधन जल जाने और उसके अलग हो जाने के बाद बीच वाले दूसरे चरण के इंजन जब चालू हो गए, तब यह मान कर कि हमेशा की तरह इस बार भी सब कुछ ठीक-ठाक ही रहेगा, टेलीवजन पर सीधा प्रसारण बंद कर दिया गाया।

रॉकेट के तीसरे चरण में गड़बड़ी : दर्शक यह नहीं देख पाये कि जब तीसरे चरण की बारी आयी, तो उसके भी इंजन पहले धधके तो, लेकिन कुछ ही सेकंड में अचानक बंद भी हो गए। तीसरा चरण और भी ऊपर जाने के बदले परिवहन यान 'प्रोग्रेस एम-12एम' के साथ कुछ तो आकाश में ही जल कर और कुछ दक्षिणी साइबेरिया के अल्ताई पर्वतों की गोद में गिर कर नष्ट हो गया। केवल साढ़े पांच मिनट में महीनों की मेहनत मिट्टी में मिल गई।

यदि सब कुछ योजनानुसार चला होता, तो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS पर इस समय काम कर रहे तीन रूसी और तीन अमेरिकी अंतरिक्षयात्रियों को दोनो देशों की ओर से 2670 किलोग्राम खाने-पीने, नहाने-धोने और पहनने-ओढ़ने की सामग्रियों के साथ-साथ अंतरिक्ष स्टेशन की जरूरतों के लिए नया ईंधन और वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए फलों पर भिनभिनाने वाली कुछ ड्रोसोफिला मक्खियां भी मिली होतीं। रॉकेट की विफलता 10 करोड़ डॉलर की चपत लगा गई।

शटल के बदले सोयूज अधिक भरोसेमंद : सबसे अजीब बात यह है कि ISS की ओर उड़ान के दैरान किसी 'प्रोग्रेस' परिवहन यान के साथ इससे पहले कभी, कोई दुर्घटना नहीं हुई थी। अगस्त 2011 तक रूसी अंतरिक्ष अधिकरण ने 'सोयूज- यू' रॉकेटों के कुल 747 प्रक्षेपण किए थे। उन में से केवल 21 प्रक्षेपण विफल रहे थे, जबकि 724 पूरी तरह सफल रहे थे। इसी कारण अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकारण नासा को अपने शटल यानों की अपेक्षा रूसी अंतरिक्षयानों और उनके वाहक रॉकेटों पर अधिक भरोसा हो चला था।

मानव-रहित उड़ानों के लिए इस्तेमाल होने वले 'सोयूज-यू' रॉकेट के तीसरे चरण की बनावट वैसी ही है, जैसी मानव-सहित उड़ानों के लिए इस्तेमाल होने वाले 'सोयूज-एफ जी' रॉकेट के तीसरे चरण की है। इससे यह आशंका पैदा होती है कि यदि 'सोयूज-यू' की बनावट में कोई कमी है तो वह 'सोयूज-एफ जी' में भी हो सकती है। 'सोयूज-एफ जी' को ही अब अमेरिकी अंतरिक्षयात्रियों को भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS तक पहुंचाने का काम करना है।

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एक अरब डॉलर का सौदा : यानी, जब तक संदिग्ध गड़बड़ी दूर नहीं हो जाती, ISS के लिए नए अंतरिक्षयात्री भी नहीं भेजे जा सकते। रूस और अमेरिका के बीच हुए अनुबंध के अनुसार, अमेरिका अपने अंतरिक्षयात्रियों की उड़ानों और उनके लिए रसदपूर्ति के बदले में रूसी अंतरिक्ष अधिकरण को अगले चार वर्षों में एक अरब डॉलर से अधिक की फीस देगा।

अंतरिक्ष स्टेशन ISS के सुचारु संचालन के लिए नासा के प्रभारी- प्रबंधक माइक सफ्रेदिनी ने पत्रकारों को बताया कि सोयूज रॉकेट के तीसरे चरण वाले इंजन में 'दबाव गिर जाने से उसके कंप्यूटर ने उसे बंद कर दिया।' केरोसीन व ऑक्सिजन के मेल से चलने वाला यह इंजन ही तीसरे चरण को वह गति प्रदान करता है, जो परिवहन यान 'प्रोग्रेस' को तीसरे चरण से अलग कर उसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से मुक्ति दिलाते हुए ISI की ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए आवश्यक है।

एक ही सप्ताह में दोहरी मार : रूसी अधिकारी भी यही कह रहे हैं कि वाहक रॉकेट के तीसरे चरण का इंजन फेल हो जाने के कारण परिवहन यान 'प्रोग्रेस' का प्रक्षेपण विफल हो गया। रूस के लिए यह एक ही सप्ताह के भीतर दूसरा आघात था। गत 18 अगस्त को उस का एक दूरसंचार उपग्रह 'एक्सप्रेस ए एम-4' प्रोटोन-एम नाम के वाहक रॉकेट से अलग होने में विफल रहा और नष्ट हो गया। एक ही सप्ताह के भीतर इन दो दुर्घटनाओं से रूसी प्रधानमंत्री व्लादीमीर पूतिन भी इतने क्षुब्ध हैं कि उन्होंने रूसी अंतरिक्ष उद्योग में जांच-परख व नियंत्रण प्रक्रिया की समीक्षा करने और उस में सुधार लाने का आदेश दिया है।

रूसी समाचार एजेंसी 'रिया नोवोस्ती' के अनुसार, हालाँकि इस बीच 26 अगस्त को, एक नया परिवहन यान 'प्रोग्रेस एम-13एम' रेल के रास्ते बाइकोनूर अंतरिक्ष अड्डे पर पहुंच गया है, लेकिन उसे 'अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी का कोई निर्णय तब तक नहीं लिया जाएगा, जब तक उन कारणों का सही पता नहीं चल जाता, जो 'प्रोग्रेस एम-12एम' के साथ हुयी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं।'

सारी नियोजित उड़ानें फिलहाल रद्द दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए रूसी अंतरिक्ष अधिकरण 'रोसकोस्मोस' ने रॉकेट-इंजनों के एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ के नेतृत्व में एक जांच आयोग का गठन किया है। रूसी रॉकेटों की सारी नियोजित उड़ानें फिलहाल रोक दी गई हैं और रॉकेटों की सारी इंजन-प्रणालियों की जांच का आदेश दिया गया है।

जरूरी नहीं है कि 24 अगस्त वाली प्रक्षेपण-विफलता से अंतरिक्ष स्टेशन ISS के लिए रसदपूर्ति और अंतरिक्षयात्रियों को वहां तक लाने-लेजाने का काम पूरी तरह या लंबे समय के लिए ठप्प पड़ जाए। लेकिन, इतना निश्चित है कि कर्मीदल की अदलाबदली और वैज्ञानिक प्रयोगों का कार्यक्रम अस्तव्यस्त हो जाएगा।

कर्मीदल की अदलाबदली अस्तव्यस्त : उदाहरण के लिए, रूसी मिशन कमांडर आंद्रेई बोरिसेंको, अलेक्सांदर सोमोकुत्यायेव और अमेरिकी अंतरिक्षयात्री रॉनल्ड गैरन को आगामी 8 सितंबर को पृथ्वी पर वापस लौटना है। अब तय हुआ है कि वे 16 सितंबर से पहले नहीं लौट सकेंगे। ISS संचालन के अमेरिकी प्रभारी- प्रबंधक माइक सफ्रेदिनी ने 29 अगस्त को बताया कि यह भी संभव है कि इन तीनों की वापसी सितंबर के अंत या अक्टूबर के मध्य से पहले न हो पाए। उनके स्थान पर नए कर्मीदल को 22 सितंबर की जगह अक्टूबर के अंत में अथवा नवंबर के आरंभ में रवाना किया जाएगा।

रूस की ओर से इस बीच सुनने में आया है कि कर्मीदल के प्रथम तीन सदस्यों के लौट आने के बाद ISS पर शेष रह जाने वाले तीन अन्य अंतरिक्षयात्री- स्टेशन कमांडर माइक फोसम, रूसी अंतरिक्षयात्री सेर्गेई वोलकोव और जापानी अंतरिक्षयात्री सातोषी फुरुकावा- भी मध्य नंबर में पृथ्वी पर वापस आ जाएंगे। यदि तब तक किसी और को ISS पर नहीं भेजा गया, तो वह बिना किसी चालक दल के रह जाएगा। अगर ऐसा हुआ, तो दस वर्षों में ऐसा पहली बार होगा कि ISS पर एक भी अंतरिक्षयात्री नहीं होगा। इससे ISS पर जारी कोई भी जरूरी प्रयोग शायद प्रभावित नहीं होगा, लेकिन उसके रख-रखाव पर असर जरूर पड़ेगा।

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नए ईंधन की सप्लाई ISS के लिए अनिवार्य : संकट तब पैदा होगा, जब ISS को अपनी परिक्रमा कक्षा बनाए रखने के लिए नए ईंधन की सप्लाई भी नहीं मिल पाएगी। ISS 51 मीटर लंबा, 109 मीटर चौड़ा और 20 मीटर ऊंचा एक ऐसा ढांचा है, जो पृथ्वी से औसतन 350 किलोमीटर की ऊंचाई पर रहते हुए हर 91 मिनट में उसकी एक परिक्रमा पूरी करता है। 27 744 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चल रहे इस ढांचे का वज़न पृथ्वी पर 4 17 289 किलो बैठेगा। लेकिन, उसकी प्रतिसेकंड गति 11.2 किलोमीटर से अधिक होने के कारण परिक्रमा कक्षा में उसका वजन नहीं के बराबर होता है।

इस गति पर हर चीज पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल की पकड़ से बाहर हो कर भारहीनता की स्थिति में पहुंच जाती है और बिना किसी इंजन के अपने आप चलती रहती है। तब भी, ISS को समय-समय पर अपने इंजन चला कर- जिस के लिए ईंधन चाहिए- अपनी ऊंचाई बनाए रखनी पड़ती है, वर्ना साढ़े तीन सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर की अत्यंत विरल हवा के साथ घर्षण व कुछ अन्य भौतिक कारणों से उसकी गति धीरे-धीरे घटती जाएगी, वह हर महीने दो किलोमीटर की दर से ऊंचाई खोता जाएगा और अंततः वायुमंडलीय हवा की घनी परतों के साथ घर्षण से जल कर भस्म हो जाएगा।

ISS के कर्मीदल को लैटना पड़ सकता है : अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा के माइक सफ्रेदिनी का कहना है कि प्रयास यही रहेगा कि ISSको पूरी तरह मानवरहित न रहना पड़े, भले ही इस समय के सभी छह अंतरिक्षयात्रियों को नंबर तक पृथ्वी पर लैट आना पड़े। नवंबर के बाद कजाखस्तान में दिन बहुत छोटे और रातें बहुत लंबी हो जाती हैं। साथ ही कड़ी सर्दी के साथ बर्फ गिरनी भी शुरू हो जाती है। अमेरिकी शटल यान रात और दिन के किसी भी समय हवाई पट्टियों पर उतर सकते थे, जबकि रूसी सोयूज़- कैप्सूल पैरशूट के सहारे जमीन पर गिरते हैं। उन्हें खोजने और पाने के लिए जरूरी है कि वे अनुकूल मौसम में दिन के समय लैटें और यथासंभव बाइकोनूर से बहुत दूर नहीं उतरें।

जहाँ तक ISS पर नए कर्मीदल को भेजने का प्रश्न है, रूसी अधिकारियों ने कहा है कि ऐसा करने से पहले वे मानव-रहित दो सोयूज रॉकेटों का परीक्षणात्मक प्रक्षेपण करेंगे। उन में से एक 'प्रोग्रेस एम- 13एम' परिवहन यान को लेकर ISS की तरफ उड़ेगा। इस कारण सितंबर में जिन दो रूसी और एक अमेरिकी अंतरिक्षयात्री को ISS पर भेजा जाना था, उनकी रवानगी में देर लगेगी।

ISS कई देशों की साझी परियोजना : ISS रूस और अमेरिका ही नहीं, यूरोपीय अंतरिक्ष अधिकरण ESA में शामिल देशों, कैनडा और जापान की भी एक साझी परियोजना है। उनके अंतरिक्षयात्री भी वहाँ जाते और प्रयोग आदि करते रहे हैं। इस कारण यूरोपीय अंतरिक्ष अधिकरण ESA के अध्यक्ष जौं-जॉक दोरदौं ने भी रूसी अंतरिक्ष अधिकरण से 24 अगस्त वाली दुर्घटना की तत्काल गहराई के साथ जांच करने की मांग की है और कहा है कि उन्हें 8 सितंबर से पहले ही अपने पत्र का जवाब चाहिए।

अगले ही दिन, यानी 9 सितंबर को, दक्षिणी अमेरिका के फ्रेंच गुयाना में स्थित ESA के रॉकेट प्रक्षेपण अड्डे कुरू पर रूस के ही एक 'सोयूज' रॉकेट में ईंधन भरना शुरू होगा। इस रॉकेट को अक्टूबर के अंत में यूरोपीय नेविगेशन सिस्टम 'गालिलेओ' (गैलिलियो) के दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाना है। नवंबर में ESA की ओर से नीदरलैंड के अंतरिक्षयात्री आँद्रे क्युपर्स को भी ISS पर भेजा जाना है। बाइकोनूर में हुई 24 अगस्त वाली दुर्घटना के असली कारणों का यदि समय रहते पता नहीं चल सका और उन्हें दूर नहीं किया जा सका, तो ESA का सारा कार्यक्रम उलट-पुलट हो जाएगा।

दोरदौं का कहना है कि उन्हें आशा है कि तब तक बात साफ हो चुकी होगी, क्योंकि इससे पहले सोयूज रॉकेटों के साथ किसी समस्या का पता चलने और उसका निराकरण मिलने में 40 दिन से अधिक का समय नहीं लगा।

कर्मीदल को कोई तात्कालिक खतरा नहीं : रूसी और अमेरिकी अधिकारियों तथा अन्य जानकारों का भी कहना है कि रूसी सोयूज रॉकेट की 24 अगस्त वाली विफलता एक चिंताजनक घटना तो है, लेकिन उससे न तो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ISS के वर्तामान कर्मीदल के जीवन-मरण का प्रश्न पैदा होता है और न ही ISS के भविष्य पर तत्काल कोई प्रश्नचिह्न लगता है।

अमेरिकी अंतरिक्ष शटल यान 'एटलांटिस' गत जुलाई में जब ISS तक अंतिम बार गया था, तब वह वहां खाने-पीने की व अन्य प्रकार की ढेर सारी सामग्रियां छोड़ कर आया था। बाद में मानव-रहित रूसी परिवहन यान 'प्रोग्रेस' ने भी वहां काफी सामग्रियां पहुंचाई थीं। वह 24 अगस्त वाले उसी दिन ISS से अलग हुआ था, जिस दिन नया 'प्रोग्रेस' यान नई खेप ले कर उड़ने वाला था। नए 'प्रोग्रेस' यान के नहीं पहुंचने से सबसे पहला असर यह पड़ेगा कि ISS की नियमित परिक्रमा कक्षा को बनाए रखने के तीन नियोजित प्रयास फ़िलहाल नहीं हो हो पाएंगे। पर इससे भी तुरंत कोई गंभीर संकट नहीं पैदा होगा।

भंडार काफी भरे हुए हैं : नासा के प्रवक्ता केली हम्फ्रीस का कहना है कि 'भंडार काफी भरे हुए हैं। इसीलिए हम कर्मीदल के लिए किसी कठिनाई की संभावना नहीं देखते।' लेकिन, यह हो सकता है कि दो महीनों के भीतर कर्मीदल के सदस्यों की संख्या छह से घटा कर तीन कर देनी पड़े। रूसी अंतरिक्ष अधिकरण 'रोसकोस्मोस' के प्रवक्ता का कहना था कि तत्काल कोई संकट तो नहीं है, लेकिन 8 सितंबर को जिन तीन लोगों को वापस आना है, यदि उनकी वापसी में देर लगती है, तो कर्मीदल को खाने-पीने की सामग्रियों की राशनिंग करनी पड़ सकती है।

आपातस्थिति के लिए जीवनरक्षा कैप्सूल : समझा जाता है कि ISS का कर्मीदल, यदि जरूरी हो, तो 16 नंवंबर तक वहां रह सकता है। उस के बाद ISS को खाली कर देना होगा और तब उसे सीधे पृथ्वी पर से नियंत्रित और संचालित करना होगा। आपातस्थिति में कर्मीदल को वहां से वापस लाने के लिए किसी नये यान को भेजना जरूरी नहीं है। जिस तरह पानी के जहाजों के साथ कुछ जीवनरक्षक नौकाएं बंधी रहती हैं, उसी तरह संकटकाल में ISS को त्यागने और पृथ्वी पर लौटने के लिए उस पर एक जीवनरक्षा कैप्सूल भी हमेशा तैयार रहता है। इस कैप्सूल में बैठ कर अंतरिक्षयात्री अपनी जान बचा सकते हैं और पृथ्वी पर लौट सकते हैं। यह जरूर है कि, उसे लगभग हर 200 दिन बाद जांचना-परखना और नई हवा, खाने-पीने और ईंधन से लैस करना पड़ता है।

सोयूज रॉकेट की ताजा विफलता समानाव अंतरिक्षयात्रा की ड्यौढ़ी पर खड़े भारत जैसे देशों के लिए एक चेतावनी भी है और चुनौती भी। चेतावनी यह कि 33 वर्षों के सतत प्रयोग से परिपक्व रूसी सोयूज रॉकेटों को भी यदि विफलता का सामना करना पड़ सकता है, तो अंतरिक्ष को छूने के नए अभिलाषियों को इस से भी कहीं अधिक विफलताओं को झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। चुनौती यह कि हर अंतरिक्षयात्रा के साथ हमेशा कुछ न कुछ अनिश्चय, कुछ न कुछ जोखिम जुड़ा रहेगा। हमें अपनी प्राथमिकता तय करनी होगी कि हम धरती पर ही अपना जीवन सुधारें या अंतरिक्ष के अनजाने जोखिमों से जूझने पर अपने संसाधन खर्च करें।

चित्सौजन्य : नासा

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