मानव ने धरती पर जीवन का संकट खड़ा कर दिया है। खासकर ओजोन परत को जो क्षति पहुंचाई गई है उसकी भरपाई करना असंभव जान पड़ता है। इसके अलावा कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर भी इतना बढ़ गया है कि भविष्य में वह ऑक्सीजन को सोखना शुरू कर देगा।पृथ्वी ग्रह का निर्माण लगभग 4.54 अरब वर्ष पूर्व हुआ था और इस घटना के 1 अरब वर्ष पश्चात यहां जीवन का विकास शुरू हो गया था। तब से पृथ्वी के जैवमंडल ने यहां के वायुमंडल में काफी परिवर्तन किया है।लाखों वर्ष की प्रक्रिया के बाद ओजोन पर्त का निर्माण हुआ जिसने पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ मिलकर पृथ्वी पर आने वाली हानिकारक सौर विकरण को रोककर इसको जीवन उत्पत्ति और प्राणियों के रहने लायक वातावरण बनाया। लेकिन आधुनिक मानव ने मात्र 200 साल की अपनी गतिविधि से इस ओजोन पर्त को इस कदर क्षतिग्रस्त कर दिया है कि अब वैज्ञानिक कहने लगे हैं कि बहुत जल्द ही धरती पर जीवन का संकट गहराने वाला है...
अगले पन्ने पर पढ़ें, क्या कहते हैं इस संबंध में वैज्ञानिक...
आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है। पृथ्वी का 70.8% भाग जलीय और 29.2% भाग स्थलीय है। पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकंड (लगभग 365 दिन व 6 घंटे) का समय लगता है।पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी कक्षा पर झुके होने के कारण तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानी वार्षिक गति के कारण होती है। वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन-रात छोटा-बड़ा होता है, लेकिन अब यह सारी प्रक्रिया मनुष्य की गतिविधि बढ़ने के साथ बदलने लगी है। ऋतुएं जहां अब अपना समय बदलने लगी हैं वहीं दिन-रात भी अब गड़बड़ाने लगे हैं।लगातार प्राकृतिक परिवर्तन और आपदाएं इस बात की सूचना है कि बहुत तेजी से धरती खुद को संतुलित करने का प्रयास कर रही है। यदि ऐसा करने में वह असफल रही तो धरती से जीवन का नष्ट होना तय माना जा रहा है।वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती अपने जीवन के मध्य काल में संकट से जूझ रही है। वे इस धरती का आधे जीवन का संकट कहते हैं।'
द सन' की खबर अनुसार धरती ग्रह की उम्र 50 वर्ष ही बची है लेकिन यह 70 से अधिक नहीं जी पाएगी। धरती अपने जीवन के मध्य भाग में प्रवेश कर रही है और वैज्ञानिकों का कहना है कि 2000002013 वर्ष में समाप्त हो जाएगी।वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्यों की उम्र के लिहाज से हमारी धरती की उम्र अब 50 वर्ष होने को आई है और यह 70 वर्ष से ज्यादा नहीं जी पाएगी।वैज्ञानिकों के अनुसार धरती 4.54 अरब वर्ष पुरानी है और 2 अरब वर्ष इसे और पूरे करने हैं। धरती के जीवन के मध्य का संकट शुरू हो गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती शीर्ष से पतली होती जा रही है, क्योंकि इसके ओजोन लेयर में छेद नजर आने लगे हैं।
अगले पन्ने पर पढ़ें, किस तरह धरती पर से होगा जीवन लुप्त...
वैज्ञानिकों के अनुसार धरती शीर्ष से पतली होती जा रही है, क्योंकि इसके ओजोन लेयर में छेद नजर आने लगे हैं। सभी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विडंबना ही है कि जीवन का समापन co2 की कमी से होगा।एक अरब वर्षों में, जब इसकी उम्र 60 वर्ष की होगी तब समाप्त हो रहा और अत्यधिक गर्म हो रहा सूरज जल को भाप बनाकर उड़ा देगा और उस गैस को हटा देगा जिसकी पेड़-पौधों को बने रहने की जरूरत होती है।जब पेड़-पौधे समाप्त होंगे तब जानवर भी समाप्त होने लगेंगे और तब मनुष्य के बचे रहने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी, केवल माइक्रोब्स (जीवाणु) बचे रहेंगे, लेकिन उनमें से भी ज्यादातर धरती की आयु 70 होने से पहले ही मर जाएंगे। 70 वर्ष की आयु मानवों के वर्तमान जीवन प्रत्याशा का औसत है।स्कॉटलैंड की सेंट एड्रूज यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोबाइलोजिस्ट जैक ओ. मेली जैम्स का कहना है कि धरती का बहुत लंबा भविष्य जीवन उत्पत्ति के लिए बहुत ही विषम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह (जीवन) द्रव अवस्था में पानी के कुछ क्षेत्रों में सीमित हो जाएगा या शायद अधिक ऊंचाई पर अधिक ठंडे स्थानों पर या फिर गुफाओं में मिल सकेगा।
क्या सचमुच सूर्य की आग में खाक हो जाएगी धरती...
स्पेस साइंटिस्ट के अनुसार अब से 5 अरब सालों के अंदर पृथ्वी सूर्य की आग में जलकर राख हो जाएगी। यह खोज एक बूढ़े हो चुके तारे के हाथों नष्ट हुए उसके ग्रहों के पुख्ता सबूत मिलने के आधार पर वैज्ञानिकों ने की है।सौरमंडल के बाहर लाल रंग का एक विशालकाय तारा बीडी+48 740 मिला है जिसकी उम्र सूर्य की उम्र से भी ज्यादा है। इस तारे की त्रिज्या सूर्य से 11 गुना बड़ी है। यह तारा अपनी उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता चला गया और अपने पास के ग्रहों को निगलता या बर्बाद करता गया। माना जा रहा है कि गायब हो चुके ग्रह इस बीडी+48 740 नाम के तारे ने ही निगल लिए हैं।हमारे सूर्यमंडल के बाहर पहली बार कोई ग्रह खोजने वाले वैज्ञानिक और पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमी व एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर एलेक्स वोल्सजेन ने बताया कि एक उम्रदराज तारे के जरिए बर्बाद हुए ग्रह के सबूत मिले हैं। इस सबूत से साफ है कि 5 अरब साल पुराना अपना सूर्य अपनी बाकी की उम्र (करीब 5 अरब साल) पूरी करने के अंदर ही पृथ्वी समेत अपने आसपास के ग्रहों को खत्म कर देगा। चूंकि उम्र बढ़ने के साथ ही इसका आकार और इसकी भयावहता भी बढ़ती जाएगी। संभवत: 5 अरब साल बाद तक सूर्य भी पृथ्वी की परिक्रमा वाली कक्षा तक फैल चुका हो और इसे अपने में समाहित कर ले।वोल्सजेन ने बताया कि हालांकि वैज्ञानिकों ने अचंभे में डालने वाली एक और खोज की है। उन्होंने बताया कि इस तारे बीडी+48 740 की ही कक्षा में घूमता एक विशालकाय ग्रह भी मिला है। यह ग्रह अपने बृहस्पति ग्रह से भी 1.6 गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह सिर्फ इसलिए बचा रह गया और तारे के इतने करीब है कि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह तारे की ओर खिंचता आया लेकिन इसी बल के कारण काफी ऊर्जा इसमें खुद में तारे से सोख ली जिससे वह अभी तक उसका अस्तित्व बना हुआ है।
अगले पन्ने पर धरती की आयु कैसे हो गई 7 करोड़ वर्ष कम...
अब तक वैज्ञानिक यही मानते थे कि पृथ्वी की उत्पत्ति 4.537 अरब वर्ष पहले हुई थी, लेकिन नए अध्ययन में पृथ्वी की उम्र 7 करोड़ वर्ष कम होने का दावा किया गया है।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय का यह शोध कुछ माह पूर्व नेचर जीओ साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिसमें पृथ्वी के उत्पत्ति काल को 7 करोड़ वर्ष कम बताया गया है। पृथ्वी पर गिरे प्राचीन उल्कापिंडों से प्राप्त डाटा से पृथ्वी की उत्पत्ति काल में इतने बड़े अंतर का पता लगा है।
वैज्ञानिक पृथ्वी के आवरण और उल्कापिंडों से मिली सूचनाओं के आधार पर तुलना कर इसका विश्लेषण करने में लगे हैं। अंतर मिलने पर वैज्ञानिकों ने सुझाया है कि इस ग्रह की उत्पत्ति की प्रक्रिया में पहले की मान्यता की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा समय लगा है।
चंद्रमा से नमूने के तौर पर मिले नए डाटा के परिप्रेक्ष्य में यह सिद्धांत साबित हो गया है कि चंद्रमा पृथ्वी से टूटकर बना है। इस घटना पर व्यापक रूप से विश्वास किया गया कि पृथ्वी के विकास की प्रक्रिया का अब अंत हो गया है।
इस अध्ययन के पहले वैज्ञानिक मानते थे कि इसके गठन की प्रक्रिया में 3 करोड़ वर्ष का समय लगा, जो कि अपने दर से बढ़ी और इसकी निर्भरता कम हुई। लेकिन इस नए शोध ने सुझाया है कि यह प्रक्रिया 100 करोड़ साल का समय ले सकती है और इसके कंपन की गति भी बढ़ सकती है.
अंत में पढ़ें... धरती की कीमत कितनी है...?
यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि व्यावसायिक युग के चलते अब धरती की प्राइज भी तय की जाने लगी है। इसकी उम्र, इसके आकार के आधार पर इसकी कीमत तय की गई है। एक खगोल भौतिक विज्ञानी ने यह दावा किया है कि हमारी पृथ्वी की कीमत है करीब 30 हजार खरब पाउंड।
इस वैज्ञानिक ने एक ऐसा फॉर्मूला विकसित किया है जिससे पृथ्वी का मूल्य आंका जा सकता है। खगोल भौतिक विज्ञानी ग्रेग लौफलिन ने दावा किया है कि उनके पास ऐसा फॉर्मूला है जिससे कि धरती का मूल्य, आकार, उम्र, तापमान और जनसंख्या जैसे जरूरी आंकड़ों की गणना की जा सकती है। इस फॉर्मूले से पृथ्वी की कीमत 30 हजार खरब पाउंड बताई गई है।
दूसरी ओर ग्रेग ने मंगल ग्रह की कीमत मात्र 10 हजार पाउंड आंकी है। शुक्र ग्रह की कोई कीमत नहीं है।
(एजेंसियां)