लंदन। वैज्ञानिकों का दावा है कि जिस डार्क एनर्जी को ब्रह्मांड के 68 प्रतिशत हिस्से का निर्माण करने वाला माना जाता था, उसका शायद कोई अस्तित्व ही नहीं है। उनका मानना है कि ब्रह्मांड के आदर्श मॉडल अपनी बदलती संरचना पर गौर करने में विफल हैं लेकिन एक बार इसपर गौर कर लिए जाने पर डार्क एनर्जी की जरूरत खत्म हो जाती है।
1920 के दशक से तारामंडलों के वेगों को मापकर वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि पूरे ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है और ब्रह्मांड में जीवन की शुरुआत एक बेहद सूक्ष्म बिंदु से हुई। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में अंतरिक्षयात्रियों को एक अदृश्य 'डार्क' मैटर का साक्ष्य मिला। यह साक्ष्य इस पर्यवेक्षण पर मिला कि तारामंडलों के भीतर तारों की गति की व्याख्या के लिए किसी अतिरिक्त चीज की जरूरत थी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारा निष्कर्ष एक गणितीय अनुमान पर निर्भर करता है, जो अंतरिक्ष के अवकलित विस्तार की अनुमति देता है और सामान्य सापेक्षिता के अनुरूप है। ये दिखाते हैं कि पदार्थ की जटिल संरचनाओं का निर्माण किस तरह से विस्तार को प्रभावित करते हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक इन मुद्दों पर गौर नहीं किया जाता था लेकिन यदि इनपर गौर किया जाए तो डार्क एनर्जी के बिना ही त्वरण की व्याख्या की जा सकती है। यह शोध रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिसों में प्रकाशित किया गया है। (भाषा)