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मंगल ग्रह में 2030 तक पहुंचेगा मनुष्य!

हमें फॉलो करें मंगल ग्रह में 2030 तक पहुंचेगा मनुष्य!
, मंगलवार, 29 सितम्बर 2015 (16:55 IST)
नासा ने मंगल ग्रह में पानी होने की पुष्टि कर दी है। हमारे सौरमंडल में मंगल एक मात्र ग्रह है जो पृथ्वी की तरह सूर्य से लगभग समान दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से कई मायनों में मेल भी खाता है। इसीलिए हमारे वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से इस ग्रह में जीवन की तलाश में लगे हुए थे।
अब जाकर एक सफलता हाथ लगी है और यह सफलता कई मायनों में महत्वपूर्ण भी है। क्योंकि पानी के सहारे मंगल में मनुष्यों के रहने लायक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पानी की मात्रा तो ज्यादा नहीं है लेकिन इसने उन्हें ढाढस जरूर बंधाई है। नासा के रोवर ने पानी की धारियों की तस्वीरें भेजी है जो 4 से 5 मीटर चौड़ी हैं और 200 से 300 मीटर लंबी है। 
 
लेकिन मंगल की इस धरा पर पानी कैसे मिला? इस संबंध में वैज्ञानिकों ने सोशल मीडिया में किए गए कुछ सवालों के जवाब में बताया कि उन्हें नहीं पता कि यह हाइड्रेटेड साल्ट कहां से आया। यह नया राज है जिसे हम जल्द खोज निकालेंगे।
 
लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि मंगल की धरा पर मौजूद नमक उसकी धरा में मौजूद पानी को सोखता है। इसी कारण जब गर्मी बढ़ती है तो पानी नमक से पिघलने लगता है। इसके लिए अभी ज्यादा जानने की जरूरत है। मंगल की धरा पर पाए गए इस पानी को ब्रिनी नाम दिया गया है। यह पानी तरल पदार्थ के रूप में यहां पर मौजूद है। 
 
चूंकि अब मंगल की सतह पर पानी तो मिल गया है तो क्या इस पानी को पीने के काम में लाया जा सकता है? या इसके माध्यम से सब्जी-भाजी उगाई जा सकती है? इसके जवाब में वैज्ञानिकों ने बताया कि यह पानी थोड़ी अलग तरह का है जिसमें एक विशेष प्रकार का पदार्थ परचलोरेट्स नजर आ रहा है। इसीलिए इस पानी को अभी पिया नहीं जा सकता। इस पीने के लिए भविष्य में हमें नमक को पृथक करना होगा। 
 
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इस पानी का स्वाद नमक की तरह खारा होगा। लेकिन इसमें परचलोरेट्स वाला पदार्थ मिला हुआ है जो मनुष्य के लिए बेहद जहरीला है। 
 
आपको बता दें कि मंगल ग्रह में गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल(9.8 मी/सेकंड स्क्वेयर) से आधे से भी कम है और 3.711 मी/सेकंड है। मंगल में तापमान हर दिन बदलता है कभी यह बेहद गर्म हो जाता है तो कभी बेहद ठंडा। 
 
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल की सतह पर मनुष्य 2030 तक जा पाएंगे। नासा के मुताबिक उसका अभी ध्यान और पानी की सतहों को ढूंढने का है।              

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