जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा खतरा है कि यदि धरती पर मौजूद सारी बर्फ पिघल गई तो दुनियाभर के बड़े शहरों समेत भारत के चेन्नई, भुवनेश्वर, कोलकाता और मुंबई जैसे कई बड़े शहर पानी में समा जाएंगे। बढ़ते वैश्विक तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग अब सिर्फ किताबों और सेमीनारों का विषय ही नहीं रह गया है बल्कि इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है। 2015 का वर्ष सबसे गर्म साल का रिकॉर्ड हो गया है।
दुनिया के दस सबसे बड़े शहरों में से आठ समुद्र किनारे बसे हुए हैं जो
मात्र 1-3 मीटर समुद्री सतह उठने से जलमग्न हो सकते हैं।
यूरोपियन देशों में अत्यधिक गर्मी से लू चलना और अमेरिका, एशिया सहित तमाम इलाकों में मौसमी बदलाव से भारी बारिश और बाढ़ में बढ़ोतरी। भारत के चेन्नई में अतिवृष्टि से आई भयानक बाढ़ इसका ताजा उदाहरण है। मौसम के इस बदलाव से हर साल करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं।
परंतु सबसे बड़ी चिंता का विषय समुद्र में हो रहे तीव्र बदलाव से है। बढ़ती गर्मी के चलते ध्रुवीय इलाकों की बर्फ तेजी से पिघल रही है जिससे समुद्र में पानी की मात्रा और इसका फैलाव बढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दुनिया के दस सबसे बड़े शहरों में से आठ समुद्र किनारे बसे हुए हैं जो मात्र 1-3 मीटर समुद्री सतह उठने से जलमग्न हो सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक बढ़ा हुआ जलस्तर से पहले तटीय शहरों के निचले इलाकों में पानी घुसेगा इसके बाद समुद्री तूफानों के चलते वह ऊपरी इलाकों में भी दाखिल हो जाएगा इसे स्टॉर्म सर्ज भी कहते हैं।
नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीनलैंड में मौजूद विशाल जैकब्श्वन ग्लेशियर से करीब आठ वर्ग किलोमीटर का एक विशाल टुकड़ा टूटकर समुद्र में जा गिरा है। हजारों टन भारी इस ग्लेशियर में ही इतनी बर्फ है जो अगर पिघल गई तो दुनिया भर में समुद्र का स्तर एक फीट से भी ऊपर जा सकता है। ऐसी ही घटनाएं आर्कटिक सहित समूचे ध्रुवीय क्षेत्र में हो रही है। नासा ने अपने अध्ययन में चेताया है कि इस सदी के आखिर तक समुद्र का जलस्तर तीन फ़ीट तक बढ़ जाएगा।
एक वीडियो में दिखाया गया है कि यदि दुनियाभर की बर्फ पिघल जाती है तो पृथ्वी का रूप कैसा होगा। क्या हाल होगा दुनिया के बड़े शहरों का जहां अरबों लोग रहते हैं, देखना चाहते हैं तो क्लिक करें अगले पन्ने पर..