यूं तो हमारी धरती पर हर 11 से 12 साल के अंतराल में सौर तूफान आते रहते हैं लेकिन आज से 14000 वर्ष पूर्व एक भयानक तूफान आया था जिसके चलते धरती पर सबकुछ तबाह हो गया था। हालांकि उस दौर में तबाह करने के लिए कुछ खास नहीं था परंतु आज तो बहुत कुछ है। फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने बताया है कि जल्द ही ऐसा तूफान आने वाला है जो धरती के कई देशों को न केवल अंधेरे में डूबो देगा बल्की सबकुछ तबाह कर देगा।
दरअसल, फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने पेड़ों के जीवाश्म छल्लों का अध्ययन कर पता लगाया है कि एक भयावह सौर तूफान धरती की ओर बढ़ रहा है। यह तूफान धरती पर तबाही लाएगा। इसकी वजह से दुनिया के कई देश अंधेरे में डूब जाएंगे। कहा जा रहा है कि इस तरह का सौर तूफान करीबन 14000 साल पहले भी आया था। वैज्ञानिकों ने 12,350 ईसा पूर्व आए एक सौर तूफान की वजह से पेड़ों के पुराने छल्लों में रेडियोकार्बन की असामान्य वृद्धि का पता लगाया। ये तूफान इतना शक्तिशाली था कि उसने 2003 के हेलोवीन सौर तूफान से 500 गुणा ज्यादा ऊर्जा धरती पर भेजी थी। अब जो तूफान आने वाला है उससे 10 नुकसान होंगे।
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रेडियो सिग्नल बंद
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सैटेलाइट और यान पर असर
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जीपीएस एवं इंटरनेट पर प्रभाव पड़ेगा
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बड़े भूकंप की संभावना बढ़ जाएगी
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मौसम में भारी बदलाव होगा
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धरती की मैग्नेटिक शक्ति में बदलाव होने की संभावना
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मानसिक असंतुलन बढ़ सकता है।
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युद्ध, महामारी और विनाशकारी घटनाएं हो सकती है।
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सुनामी का खतरा बढ़ सकता है।
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ग्लोबल वार्मिंग की गति तेज हो सकती है।
क्या होते हैं सौर तूफान : सौर तूफान सूर्य से निकलने वाले प्लाज्मा होते हैं। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार इस साल 2 सौर तूफान आ सकते हैं जो सूर्य से निकलकर पृथ्वी के करीब पहुंच सकते हैं। ISRO के अनुसार सूरज की साइकिल 11 साल की होती है और हर 11 साल में एक बार ये रेडिएशन का तूफान यानी सोलर मैक्सिमम आता है। लेकिन इस बार जो तूफान आ रहा है ऐसा तूफान 14 हजार वर्ष पूर्व आया था।
सौर तूफान कब आएगा: सूर्य और अन्य ग्रह नक्षत्रों की गति के चलते ही धरती पर अकाल, युद्ध, विस्फोट, भूचाल, महामारी जैसी कई आपदाएं आती हैं। वैज्ञानिकों ने पहले 2025 में सौर तूफान के चरम पर होने की भविष्यवाणी की थी। अब माना जा रहा है कि यह इसी साल के आखिर तक आ सकता है। लंदन यूनिवर्सिटी में सौर भौतिक विज्ञानी एलेक्स जेम्स का कहना है कि सूर्य से पृथ्वी की ओर निकलने वाला यह विशाल बल समस्या पैदा कर सकता है।
सौर तूफान का असर: सौर तूफान के रेडियेशन के कारण धरती की ऊपरी सतह ज्यादा प्रभावित होती है। उल्ट्रावॉयलेट रेज की वजह से धरती की ऊपरी सतह का तापमान तेजी से बढ़ता है और तब धरती के कुछ हिस्सो पर गर्मी काफी बढ़ जाती है। गर्मी काफी बढ़ने के कारण समुद्र का जल तेजी से वाष्प बनने लगता है और तब मौसम में भी तेजी से बदलाव होता है।
क्या होगा सौर तूफान से?
सौर तूफान का असर रेडियो सिग्नल पर हो सकता है। कुछ देर के लिए ये काम करना बंद कर सकते हैं। जीपीएस पर असर पड़ सकता है। यह बिजली के बुनियादी ढांचे के साथ अंतरिक्ष में सैटेलाइट और यान को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसी के साथ ही यह धरती के जलवायु या मौसम को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा। इसी के साथ ही यह धरती के गुरुत्वाकर्षण और भूकंप को भी प्रभावित कर सकता है। इस सौर गतिविधि के कारण युद्ध हो सकते हैं, बीमारी हो सकती है मानसिक असंतुलन बढ़ सकता है। इन सौर ज्वालाओं के कारण इंसानों के जीवन में बहुत उथल-पुथल हो सकती है।
भूकंप: धरती पर 30 से 35 तक की संख्या में रोज 2.3 की तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं। बीच में कोई 6.5 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तब धरती के हिलने का आभास होता है परंतु यदि जब 9.5 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो तबाही मच जाती है। कई भविष्यवक्ता और वैज्ञानिक इस बात की आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि धरती पर बहुत बड़ा भूकंप आने वाला है जो बहुत ही विनाशकारी साबित होगा। हालांकि यह भूकंप कब आएगा इसके संबंध में वैज्ञानिक कोई बात नहीं करते हैं लेकिन आशंका जरूर व्यक्त करते हैं।
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