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फोटोग्राफी की नई दिशाएं

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हमें फॉलो करें फोटोग्राफी

राम यादव

, सोमवार, 24 सितम्बर 2012 (16:33 IST)
जर्मनी के कोलोन शहर में फोटोग्राफी की दुनिया का द्विवार्षिक महामेला 'फोटोकीना' नए दिशा-संकेतों के साथ समाप्त हो गया है। 18 से 23 सितंबर तक चले इस मेले ने दिखाया कि फोटोग्राफी कई ऐसे मोड़ ले रही है, जो भविष्य में तकनीकी विकास के कई दूसरे क्षेत्रों को भी दूर तक प्रभावित करेंगे।
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स्मार्टफोन की तर्ज पर अब स्मार्ट कैमरे : स्मार्टफोन कहलाने वाले बहुगुणी मोबाइल फोनों की तरह ही फोटोग्राफी कैमरों की नई पीढ़ियां भी बहुगुणी (मल्टी मीडिया) होंगी। मोबाइल फोन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे लगभग सब के पास होते हैं। उनमें कैमरे भी लगे होते हैं। पर, ये कैमरे उतने उतने अच्छे नहीं होते, जितना कोई असली कैमरा होता है।

मोबाइल फोन जब साथ हो, तो एक कैमरा भी अलग से ले कर चलना लोग पसंद नहीं करते। इस दुविधा का अंत करने के लिए कैमरा निर्माताओं ने सोचा कि यदि कैमरों को मोबाइल फोन वाली सुविधाओं से भी लैस कर दिया जाए, तो वे भी सर्वगुणी और बहुप्रयोजनीय बन जाएंगे। इंटरनेट के जरिये उन्हें भी नए-नए ऐप्स (एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर) से लैस कर मोबाइल फोन की तरह हर समय और हर जगह चलते-फिरते इस्तेमाल किया जा सकेगा।

कैमरे और स्मार्ट मोबाइल फोन के बीच प्रतिस्पर्धा केवल इस प्राथमिकता तक रह जाएगी कि किस काम के लिए अच्छे कैमरे का होना भी महत्वपूर्ण और किस के लिए नहीं। बल्कि, दोनों एक-दूसरे के पूरक भी बन सकते हैं। स्मार्ट कैमरे ऐसे भी हो सकते हैं कि उन्हें स्मार्टफोन द्वारा दूर से नियंत्रित (रिमोट कंट्रोल) किया जा सके।

कैनन, नीकोन, ओलिंपस, पैनासॉनिक और सैमसंग जैसी लगभग सभी प्रमुख कैमरा निर्माता कंपनियां अब ऐसे कैमरे भी बना रही हैं जो 'वाईफाई' के द्वारा बिना तार के इंटरनेट और स्मार्टफोन से जुड़ने की सुविधा से लैस हैं। कैमरा निर्माता अपने नए स्मार्ट कैमरों के लिए ऐसे ऐप्स भी पेश करने लगे हैं, जिन्हें इंटरनेट के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकता है।

वे, उदाहरण के लिए, कैमरे की चित्र-प्रसंस्करण (इमेज प्रॉसेसिंग) क्षमता बढ़ाते हैं या चित्र की चमक और और रंगों के गाढ़ेपन में परिवर्तन द्वारा उसमें नए प्रभाव डालने वाले वाले डिजिटल फिल्टर का काम करते हैं। किसी चित्र को सीधे अपने कैमरे से ही किसी मित्र के स्मार्टफोन पर भेजा या फेसबुक के अपने पेज पर अपलोड किया जा सकता है।

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अधिकतर ऐप्स फिलहाल मुफ्त में डाउनलोड किए जा सकते हैं। समय के साथ अलग-अलग प्रयोजनों के लिए अलग-अलग ऐप्स उपलब्ध होते रहेंगे। कैमरे को स्मार्टफोन की तरह इंटरनेट से जोड़ने की यह नई सुविधा फोटोग्राफी की कम जानकारी रखने वाले लोगों के लिए बने और एक ही स्थाई लेंस वाले तथाकथित "कॉम्पैक्ट" वर्ग के कैमरों में ही नहीं, लेंस-परिवर्तन की सुविधा वाले कहीं मंहगे "सिस्टम" (DSLR/SLR) कैमरों में भी उपलब्ध है। सैमसंग की NX सिरीज, सोनी का NEX-5R, कैनन का EOS M और EOS 650D ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं।

बिना मिरर के सिस्टम कैमरे : कोलोन के फोटोकीना मेले में दो साल पहले "डिजिटल सिंगल मिरर रिफ्लेक्स" सिस्टम कैमरों (DSLR) की काफी धूम थी। वे मुख्य रूप से उच्चकोटि की फोटोग्राफी के शौकीनों और पेशेवर फोटोग्राफरों की दिलचस्पी का विषय हैं। लेकिन, इस बार धूम थी दर्पण-रहित (मिररलेस) सिस्टम कैमरों की। DSLR कैमरों के दो सबसे बड़े निर्माताओं कैनन और नीकोन ने भी इस बीच इस नई तकनीक को अपना लिया है और कोलोन में अपने सबसे नए मॉडल प्रस्तुत किए।

इस नए वर्ग के कैमरों में लेंस से आ रहे प्रकाश को दृश्यदर्शी (आईपीस या व्यूफाइंडर) की तरफ मोड़ने वाला कोई दर्पण (मिरर) नहीं होता। प्रकाश सीधे उस फोटोसेंसर चिप पर पड़ता है, जो उसे चित्रबिंदुओं (पिक्सल) में बदलती है। दृश्यदर्शी में ठीक वही तस्वीर दिखाई पड़ती हैं, जो क्लिक करने पर बनेगी। इस तरह के कुछ कैमरे स्थिर (स्टिल) चित्र ही नहीं खींचते हैं, हाई डेफिनिशन वीडियो क्लिप भी बनाते हैं।

अधिकाधिक पिक्सल के बदले बेहतर चिप्स :
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अधिक बारीकियों वाले बेहतर चित्र पाने के उद्देश्य से कैमरों की चित्रबिंदु (पिक्सल) क्षमता बढ़ाने की दौड़ अब ठंडी पड़ रही है। इस समय नीकोन का DSLR कैमरा D800 अपने 36 मेगापिक्सल के साथ इस दौड़ के शिखर पर है। देखा यह जा रहा है कि अधिक से अधिक चित्रबिंदुओं को एक ही छोटी-सी चिप पर जगह दे पाना बहुत कठिन होता जा रहा है।

इस समस्या को हल करने के प्रयास में पिछले कुछ वर्षों से कैमरों में लगने वाली चिपों का अकार बढता गया है। कुछ पेशेवर मॉडलों में तो यह आकार उस तथाकथित "फुल फॉर्मैट " के बराबर हो गया है, जो पुरानी 35 मिलीमीटर सिनेमा फिल्मों या ग़ैर डिजिटल (एनालॉग) कॉम्पैक्ट कैमरों में अब भी लगने वाली नेगेटिव फिल्मों के फ्रेम जितना बड़ा है।

दूसरी ओर, सभी चाहते हैं कि डिजिटल कैमरों का वजन कम और आकार छोटा हो। अतः अब झुकाव ऐसी चिपों की तरफ जा रहा है, जो प्रकाश की चमक के प्रति कहीं अधिक संवेदनशील हैं, यानी जिनका ISO सूचकांक अब तक की अपेक्षा कहीं अधिक है।

साथ ही, यह भी कोशिश की जा रही है कि लेंसों की प्रकाश-संग्रह क्षमता भी बढ़े। अधिक से अधिक प्रकाश कैमरे की छवि-संवेदक चिप तक पहुंचे, ताकि कम से कम प्रकाश में भी बिना फ्लैश के चित्र लेना संभव हो सके। चिप की बढ़ी हुई ISO संवेदनशीलता और लेंसों की बढ़ी हुई प्रकाश संग्रह क्षमता चिप की पिक्सल-संख्या नहीं बढ़ा पाने की भरपाई कर देती है। कैनन, लाइका, नीकोन और सोनी जैसे निर्माता अब इसी नीति को अपना रहे हैं।

कोलोन के फोटोकीना मेले में यह भी देखने में आया कि चित्रबिंदुओं वाली पिक्सल संख्या बढ़ाकर चित्रों की गुणवत्ता सुधारने के बदले 35 मिलीमीटर फुल-फ्रेम सेंसर द्वारा भी यही लक्ष्य पाने के प्रयास हो रहे हैं। एक ही फोकस वाले फिक्स्ड फोकल लेंग्थ कैमरों के मामले में निर्माता बहुत बड़े एपर्चर (प्रकाशग्राही द्वार) वाले ऐसे लेंस इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनका फोकस बिंदु वाइड ऐंगल और टेलीफोटो रेंज के बीच में है।

सुपरज़ूम लेंस :
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बिना लेंस बदले, एक ही लेंस द्वारा बहुत निकट और बहुत दूर की चीज़ों के फोटो ख़ींचने के लिए जिस प्रकार के ज़ूमलेंस कैमरों पर लगे होते हैं, उनका आकार लगातार घटता और रेंज बढ़ती जा रही है। ओलिंपस ने SP-82UZ नाम का 14 मेगापिक्सल क्षमता का एक ऐसा कैमरा दिखाया (मूल्य 349 यूरो), जो 22.4 से लेकर 896 मिलीमीटर के बीच के 40 गुना ऑप्टिकल ज़ूम से लैस है।

इस रेकॉर्ड ज़ूम-रेंज वाला यह कैमरा एक ऐसे स्टैबिलाइज़र से भी लैस है, जो इस भारी रेंज में ज़ूम करने और चित्र खींचने के दौरान हिलने-डुलने से बचाते हुए उसे काफी हद तक स्थिर रखता है। यह कैमरा प्रति सेकंड 240 चित्र खींचते हुए फुल एचडी (1080p) वीडियो फिल्म के लायक भी है।

कई गुना ज़ूम की इस दौड़ में कैनन का SX500IS 30 गुना ज़ूम के साथ दूसरे नंबर पर (मूल्य 319 यूरो) और पेन्टैंक्स का X-5 26 गुना ज़ूम के साथ तासरे नंबर पर है (मूल्य 279 यूरो / एक यूरो लगभग 70 रुपए के बराबर)।

बेहतर व्यूफाइन्डर और डिस्प्ले :
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दृश्यदर्शी (व्यूफान्डर) में जो कुछ दिख रहा है, कैमरे की उस पर अपने आप फोकस होने की ऑटोफोकस तकनीक जब कुछ साल पहले आई थी, तब उसे फोटोग्राफी की दुनिया में एक क्रांति की तरह देखा जाता था। लेकिन, इस बात की उपेक्षा होती रही कि कैमरे को क्लिक करने से पहले दृश्यदर्शी में हर चीज़ जैसी दिखती है, बाद के चित्र में बिल्कुल वैसी ही नहीं मिलती।

इस बीच कैमरों के ऑप्टिकल (प्रकाशीय) दृश्यदर्शियों की जगह इलेक्ट्रॉनिक दृश्यदर्शी लेते गए हैं। वे हूबहू वही दृश्य या तस्वीर दिखाते हैं, जो कैमरे की प्रकाशसंवेदी चिप कैमरे की स्वचालित या हाथ से की गई सेटिंग में ठीक क्लिक करते समय देख रही होती है।

अब स्थिति यह है कि कॉम्पैक्ट कैमरों में अलग से व्यूफाइन्डर नहीं होता। कैमरे के पिछले भाग का डिस्प्ले ही व्यूफाइन्डर भी होता है। यही नहीं, कॉम्पैक्ट कैमरों और सिस्टम कैमरों में भी डिस्प्ले ऐसा टचस्क्रीन बनता जा रहा है, जिस पर दिख रहे प्रतीकों को छूकर कैमरे को चलाया और नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रकाश उत्सर्जी प्लास्टिक डायोड के बने नवीनतम ओलेड (ऑर्गैनिक लाइट एमिटिंग डायोड OLED) डिस्प्ले ऐसे हैं कि उन पर दिख रही हर तस्वीर और भी बारीकी भरी, चमकदार और स्वाभविक रंगों वाली होती है। नया झुकाव है डिस्प्ले को अपनी इच्छानुसार घुमाने-फिराने की सुविधा से लैस कर ऐसा बना देना कि कैमरा इस्तेमाल कर रहा व्यक्ति उसमें अपने आपको देखते हुए अपना भी फोटो ले सके।

हवाई फोटोग्राफी के लिए गाइरोकॉप्टर :
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कोलोन के इस बार के फोटो-उद्योग मेले में पहली बार हवाई फोटोग्राफी के उपयुक्त ऐसे बहुत छोटे आकार के उड़न-यंत्र भी देखने में आए, जो किसी कैमरे को लेकर काफी ऊंचाई और दूरी तक जा सकते हैं। इन उड़न-यंत्रों का अभी कोई सर्वमान्य नाम तय नहीं हो पाया है। अधिकतर निर्मता उन्हें "गाइरोकॉप्टर" (घूर्णन हेलीकॉप्टर) कहते हैं।

"गाइरोकॉप्टर" चालक-रहित दूर नियंत्रित ड्रोन विमानों और बिना बॉडी वाले हेलीकॉप्टर के सैद्धांतिक मेल से बना अत्यंत हल्के कार्बन-फाइबर से प्रबलित प्लास्टिक का एक ऐसा मिनी उड़न-खटोला है, जिसे वीडियो डिस्प्ले वाले एक रिमोट कंट्रोल द्वारा चलाया व नियंत्रित किया जाता है।

हेलीकॉप्टर की तरह ऊपर उड़ते हुए इस यंत्र के निचले भाग में रखा कैमरा जो कुछ देखता है, उसे दूर बैठा व्यक्ति भी साथ-साथ अपने रिमोट कंट्रोल के डिस्पले पर या रिमोट कंट्रोल को किसी टैबेलेट पीसी अथवा नोटबुक (लैपटॉप) से जोड़कर उसके पर्दे पर देख रहा होता है।

दुर्गम स्थानों, ख़तरनाक जगहों, दुर्घटनाओं और भीड़-भाड़ वाली परिस्थितियों में कैमरे द्वारा ऊपर से
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अवलोकन अथवा फोटो लेने के लिए वह बहुत ही काम की चीज़ है। लेकिन, "पापाराज़्ज़ो" कहलाने वाले ऐसे बेशर्म फोटोग्राफर उसका बड़ी सरलता से दुरुपयोग भी कर सकते हैं, जो ब्रिटेन की राजकुमारी केट जैसे प्रसिद्ध लोगों के अशोभनीय फोटो पाने की ताक-झांक में रहते हैं।


कोलोन के फोटोकीना मेले में चीन की "डीजीआई इनोवेशन्स" कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया कि छह भुजाओं वाला उनका "हेक्साकॉप्टर" अपने वज़न सहित कुल सात किलो भार के साथ एक किलोमीटर से कुछ अधिक दूर तक जा सकता है और 16 मिनट तक हवा में रह सकता है। बैट्री से चलने वाले इस यंत्र की क़ीमत होगी लगभग सात हज़ार यूरो (लगभग 5 लाख रुपए)।

मुंबई की पुलिस वहां राज ठाकरे की एक भड़काऊ सभा पर वीडियो कैमरे से नज़र रखने के लिए इसी तरह के एक गाइरोकॉप्टर का हाल ही में उपयोग कर चुकी है। ये उड़न-यंत्र पुलिस के लिए सिरदर्द भी बन सकते हैं, क्योंकि समय के साथ उनका मूल्य घट सकता है और आतंकवादी भी उनका उपयोग करने की सोच सकते हैं।

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