आपकी जन्मकुंडली में यदि ग्रहण योग है तो यह हर कार्य में बाधा उत्पन्न करता है। इस योग के ज्योतिष और लाल किताब के अनुसार 5 प्रमुख उपाय आजमाएं और ग्रहण योग को हटाएं।
ग्रहण योग मुख्यत: 2 प्रकार के होते हैं- सूर्य और चन्द्र ग्रहण। यदि राहु लग्न में बैठा हो तो भी सूर्य कहीं भी हो तो उसे ग्रहण होगा। दूसरा यह कि यदि चन्द्रमा पाप ग्रह राहु या केतु के साथ बैठे हों तो चन्द्र ग्रहण और सूर्य के साथ राहु हो तो सूर्य ग्रहण होता है।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव : चन्द्र ग्रहण से मानसिक पीड़ा और माता को हानि पहुंचती है। स्वास्थ संबंधी कई गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।
चंद्र के अशुभ होने की निशानी :
* दूध देने वाला जानवर मर जाए।
* मानसिक रोगों का कारण भी चंद्र को माना गया है।
* चंद्र के अशुभ होने की स्थिति में महसूस करने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
* राहु, केतु या शनि के साथ होने से तथा उनकी दृष्टि चंद्र पर पड़ने से चंद्र अशुभ हो जाता है।
* यदि घोड़ा पाल रखा हो तो उसकी मृत्यु भी तय है, किंतु आमतौर पर अब लोगों के यहां ये जानवर नहीं होते। पुराने समय में होते थे।
* माता का बीमार होना या घर के जलस्रोतों का सूख जाना भी चंद्र के अशुभ होने की निशानी है।
चंद्र के शुभ होने के लक्षण :
* मानसिक सुख और शांति देता है।
* शुभ चंद्र व्यक्ति को धनवान और दयालु बनाता है।
* भूमि और भवन के मालिक चंद्रमा से चतुर्थ में शुभ ग्रह होने पर घर संबंधी शुभ फल मिलते हैं।
* जातक यदि शनि के मंदे कार्य करता है तो चंद्र अपना शुभ फल देना बंद कर देता है।
चंद्र ग्रहण के लिए उपाय :
1.सोमवार और प्रदोष का व्रत रखें।
2.दाढ़ी और चोटी न रखें।
3.सोमवार को केसर की खीर खाएं और कन्याओं को खिलाएं।
4.सोमवार के दिन श्वेत वस्त्रों का दान करना चाहिए।
5.शिवजी की पूजा करें और चावल का दान करें।
6.प्रतिदिन माता के पैर छूना चाहिए।
7.पानी या दूध को साफ पात्र में सिरहाने रखकर सोएं और सुबह कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।
8.चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती आदि का दान करना चाहिए या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर करें।