इस वक्त मिथुन राशि में सूर्य और बुध की युति बन रही है। वैदिक ज्योतिष में इस युति को बुधादित्य योग कहा जाता है। यह युति जिस भी भाव में बनती है उस भाव के अनुसार इसके फल मिलते हैं। आओ जानते हैं कि लाल किताब अनुसार इस युति को क्या कहते हैं और क्या होगा इसका फल।
मसनुई ग्रह : परंपरागत और वैदिक ज्योतिष से भिन्न है लाल किताब में युति के अलग मायने होते हैं। जैसे ज्योतिष में बुध और सूर्य की युति को बुधादित्य योग कहते हैं परंतु लाल किताब के अनुसार बुध और सूर्य मिलकर एक नया ग्रह बन जाते हैं, जिसे नकली ग्रह, बनावटी ग्रह, मसनुई या मनसुई ग्रह कहते हैं। यह इस तरह है कि लाल और हरा मिलकर भूरा रंग बन जाता है। मतलब एक नए रंग की उत्पत्ति उसी तरह दो ग्रह मिलकर तीसरा ग्रह बना जाता है।
सूर्य और बुध की युति : लाल किताब में सूर्य और बुध मिलकर नकली मंगल नेक ग्रह का रूप ले लेता है अर्थात उच्च का मंगल बन जाते हैं। सूर्य का रूप ज्वाला से है और बुध को पृथ्वी का रूप मानने पर लगातार एक ही भाव में रहकर बुध व सूर्य की ज्वाला से मंगल की तरह से गर्म हो जाता है, इस तरह से हर ग्रह की सिफत के अनुसार बखान किया जाना चाहिए।
मसनुई का फल : लाल किताब के अनुसार 2 या 2 से अधिक ग्रहों के एक साथ मिलने पर जो तीसरा ग्रह बनता है वह अलग ही फल देता है। मतलब यह की उक्त दोनों ग्रह छोड़कर उसे तीसरे ग्रह का फल या असर मानेंगे। अब यह देखना होगा कि सूर्य और बुध ग्रह की युति किस भाव में बन रही है। उस भाव या खाने के अनुसार फलकथन भी अलग अलग होगा। क्योंकि तब इस युति को मंगल नेक जानकर ही फलकथन करना होगा।
1. यदि आपकी कुंडली में सूर्य और बुध की युति ग्यारहवें भाव में हो तो कोई किरायेदार न रखें।
2. सूर्य और बुध मिलकर मंगल उच्चा का है इसीलिए मंगल की वस्तुएं दान नहीं करना चाहिए। साथ ही सूर्य की वस्तुएं भी दान नहीं करना चाहिए।
3. सूर्य और बुध की मिलावट में सूर्य का फल अधिक होता।
4. जिन घरों में सूर्य मंदा हो वहां बुध उत्तम फल देगा और जिन घरों में बुध मंदा हो वहां सूर्य उत्तम फल देगा।
5. ऐसा जातक दूसरों की नहीं खुद की कमाई पर ही गुजर बसर करने की ताकत रखेगा।
6. यदि सूर्य पर शनि, राहु या केतु की कोई दृष्टि नहीं है तो जातक का जीवन उत्तम होगा। आयु लंबी होगी, स्त्री, धन और समृद्धि सभी कुछ होगा। बशर्ते की पिता से बैर न रखता होगा।