बुहत से लोग यह कहते हैं कि दक्षिण दिशा के मकान में रहने वाले लोग भी सुखी देखे गए हैं या दक्षिण मुखी दुकान में व्यापार करने वाले भी उन्नति करते हुए पाए गए हैं, लेकिन ऐसे लोगों को संभवत: उनके जीवन की पूर्ण जानकारी नहीं होती है। यह भी हो सकता है कि दक्षिण दिशा के दोष किसी कारण से क्षय हो रहे हों। कैसे? यह जानना जरूरी है। आओ जानते हैं लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान।
दरअसल, हर दिशा में कोई न कोई ग्रह स्थित है जो कि अपना अच्छा या बुरा प्रभाव डालता है। यह निर्भर करता है मकान के वास्तु, मुहल्ले के वास्तु और उसके आसपास स्थित वातावरण और वृक्षों की स्थिति पर। पूर्व में सूर्य, आग्नेय में शुक्र, दक्षिण में मंगल, नैऋत्य में केतु, पश्चिम में शनि, वायव्य में चंद्र, उत्तर में बुध, ईशान में बृहस्पति का प्रभाव रहता है।
चूंकि दक्षिण दिशा पर मंगल का प्रभाव रहता है इसलिए मंगल हमारे शरीर में खून, रिश्तों में भाई और लड़ाई-झगड़े का सूचक है। यह दिशा यम की दिशा भी मानी गई है। कहते हैं कि दिक्षण का मकान सबसे खराब होता है। यदि घर की दिक्षण दिशा दूषित है तो निम्नलिखित परेशानी और रोग उत्पन्न होता है।
1. दक्षिण दिशा से अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रभाव ज्यादा रहता है जो सेहत के लिए ठीक नहीं है।
2. इस दिशा के दूषित होने से नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, वात रोग, गठिया रोग, फोड़े-फुंसी होते हैं। गुर्दे में पथरी, बार बार बुखार का दौरा, शरीर में कंपन, कमजोरी, जोड़ों में दर्द, रक्त संबंधी रोग भी होते हैं।
3. इस दिशा के दूषित होने से जख्मी या चोट, घटना या दुर्घटना के योग बनने हैं। आकस्मिक मौत होने के संभावना भी रहती है।
4. इस दिशा के दूषित होने से बच्चे पैदा करने में दिक्कत आती है। शारीरिक कमजोरी बनी रहती है।
5. दक्षिण दिशा में सूर्य सबसे ज्यादा देर तक रहता है जिसके कारण मकान का मुख द्वार तपता रहता है। इसके चलते घर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है।
6. इस दिशा के दूषित होने से चिढ़चिढ़ापन, क्रोध, भाइयों से अनबन, गृहकलह जैसी आदि परेशानियां खड़ी होती हैं जिसके चलते धन हानि होती है।
उपाय :
1. मंगल की दिशा दक्षिण मानी गई है। नीम का पेड़ मंगल की स्थिति तय करता है कि मंगल शुभ असर देगा या नहीं। अत: दक्षिण दिशा में नीम का एक बड़ासा वृक्ष जरूर होना चाहिए। यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है या मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
2. इसके अलावा द्वार के उपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाना चाहिए। द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार का वास्तुदोष दूर होता है।
3. यदि आपका दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।
4. दक्षिण दिशा में मुख्य द्वारा या खिड़की है तो उस द्वारा या खिड़की को बदलकर पश्चिम, उत्तर, वायव्य, ईशान या पूर्व दिशा में लगाने से भी दक्षिण के बुरे प्रभाव बंद हो जाते हैं।
5. मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता है।
6. गणेशजी की पत्थर की दो मूर्ति बनवाएं जिनकी पीठ आपस में जुड़ी हो। इस जुड़ी गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार के बीचों-बीच चौखट पर फिक्स कर दें, ताकि एक गणेशजी अंदर को देखें और एक बाहर को।