लाल किताब में नाक छिदवानकर उसमें चांदी का तार डालकर 43 दिनों तक रखने की सलाह दी जाती है। कुंडली की कुछ स्थिति ऐसी होती है जबकि पुरुषों को भी नाक छिदवाने की सलाह दी जाती है। आखिर ऐसा क्यों जानिए 5 कारण।
1. यदि बुध या चंद्र अष्टम भाव में होकर बुरा फल दे रहे हैं तो नाक छिदवाना जरूरी है।
2.यदि चंद्र षष्टम भाव में बैठकर बुरा फल दे रहा है तो भी नाक छिदवाना जरूरी है।
3. बुध खाना नंबर 9 में हो या बुध खाना नंबर 12 में बैठा हो तो नाक छिदवाते हैं। हालांकि यहां लाल किताब के अनुसार इससे बुध नष्ट होकर चंद्र स्थापित हो जाता है। गुरु के घर में बैठा बुध मंदे फल देता है।
4. चंद्र या बुध कहीं भी बैठकर मंदा फल दे रहे हों तब भी नाक छिदवा लेना चाहिए, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर।
5. कई बार राहु की रुकावट और मंदे फल को रोकने के लिए भी नाक छिदवाने का कार्य किया जाता है।
क्यों जरूरत है नाक छिदवाने की : हमारे शरीर का प्रत्येक भाग किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। लाल किताब अनुसार नाक का अगला सिरा बुध का और पूरी नाक ही बृहस्पति की होती है। नाक से जो वायु का आवागमन हो रहा है वह बृहस्पति की वायु है। इसीलिए नाक का साफ-सुथरा होना जरूरी है। यदि आपकी सांसों में रुकावट है तो यह रुकावट गुरु की है। इससे बुध पर भी बुरा असर होता है।
सांसों को या गुरु को रोकने वाला राहु होता है। बुध का खराब होना व्यापार और नौकरी में नुकसान और गुरु का खराब होना भग्य और प्रगति में बाधक है। अत: नौकरी या व्यापार में यदि बुध, चंद्र या राहु के कारण रुकावट आ रही है तो इस रुकावट के लिए नाक छिदवाते हैं। राहु के द्वारा पैदा की गई रुकावट को दूर करने के लिए चांदी अर्थात चंद्र की मदद ली जाती है। इसीलिए नाक में चांदी का तार डाल कर हवा के रास्ते मुक्त किए जाते हैं। राहु को शांत कर सकता है तो वह एक ही ग्रह है चंद्रमा। इसीलिए चांदी की तार नाक के अंदर डाली जाती है। इससे बृहस्पति की सांसे खुली हो जाती है। यनी की जो हमारा भाग्य है वह जाग जाता है। मूलत: यह उपाय बुध को ठीक करने के लिए किया जाता है।
कब नाक छिदवाएं?
बुधवार की शाम को नाक छेदकर उसमें चांदी का तार डालें और फिर बृस्पति के दिन मंगल का दान यानी की पताशे की मीठाई, लड्डू इनका दान करना भी जरूरी है।
सावधानी : नाक छेदन का उपाय कुंडली में राहु और बुध की स्थिति को देखकर ही करना चाहिए अन्यथा नुकसान हो सकता है।