लाल किताब में मंगल के बारे में बहुत ही रहस्यमयी जानकारियां बताई गई हैं। हम यहां पर आपके लिए लाएं हैं ऐसी जानकारी जिसके चलते आप अपने व्यक्तित्व और स्वभाव को जानकर यह तय कर पाएंगे कि आप किस रास्ते पर चल रहे हैं। कहते हैं कि कुंडली में मंगल नेक है तो जीवन में मंगल ही मंगल होता रहेगा और यदि मंगल बद है तो फिर तुरंत ही आपको हनुमानजी की शरण में चले जाना चाहिए अन्यथा आप नीचे की जानकारी पढ़ लें।
लाल किताब में दो तरह के मंगल होते हैं। एक मंगल बद और दूरा मंगल नेक। मंगल बद का स्वामी जिन्न है तो मंगल नेक के स्वामी हनुमानजी या मंगलदेव हैं। कहते हैं कि हनुमानजी की सवारी है जिन्न या भूत प्रेत। लाल किताब में अशुभ अर्थात बद मंगल को वीरभद्र की संज्ञा भी दी गई है। कुछ कुंडलियों में यह दोनों ही तरह के मंगल होते हैं। आओ इस संबंध में जानते हैं रहस्यमयी जानकारी।
1. मंगल बद का परिचय : मंगल बद देवता जिन और भूत, पेशा कसाई, विशेषता अभिमानी क्रूर, गुण ईर्ष्या, शक्ति खाने-पीने की शक्ति, धातु लाल चमकीला पत्थर, अंग जिगर और नीचे का होंठ, पोशाक नंगा सिर, पशु ऊंट-ऊंटनी और हिरन, वृक्ष ढाक का वृक्ष, मसनुई सूर्य-शनि। लाल किताब में मंगल के बद होने की 14 तरह की स्थितियां बताई गई है। उनमें से केतु से ग्रसित मंगल को सबसे ज्यादा बद माना जाता है।
2. मंगल नेक का परिचय : देवता हनुमानजी, गोत्र भारद्वाज, रंग लाल, जाति ब्राह्मण, वृक्ष नीम, स्वभाव साहसी, दिन मंगलवार, मसनुई सूर्य-बुध, पशु शेर, शक्ति मात या मौत देना, पेशा युद्ध, सुरक्षा, प्रबंधन, पोशाक बंडी (छोटी जैकेट), अंग जिगर और ऊपर का होंठ, नक्षत्र मृगशिरा, चित्रा, घनिष्ठा, धातु लाल पत्थर, गुण हौसला, भाई, लड़ाई, विशेषता सोच-समझकर बात करने वाला, बल वृद्धि गुरु के साथ बलवान, वाहन आठ लाल घोड़े और आठ पहियों वाला मूंगा रत्न जड़ित स्वर्ण रथ, अन्य नाम भौम, महीसुत, भूमि सुत, कुराक्ष, आग्नेय, अंगारक, कुज एवं रुधिर राशि प्रथम भाव और मेष व वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल मकर में उच्च का और कर्क में नीच का माना गया है। इसके सूर्य, चंद्र और गुरु मित्र हैं। बुध और केतु शत्रु। शुक्र, शनि और राहु सम।
3. दो मंगल : यदि आपकी कुंडली में मंगल कही भी बैठकर बद हो और साथ ही सूर्य एवं शनि एक साथ बैठे हो तो यह दो मंगल माने जाएंगे और वह भी बद मंगल। इसी तरह यदि मंगल कहीं भी बैठा होकर नेक हो और साथ ही सूर्य और बुध एक साथ बैठे हो तो यह दो नेक मंगल माने जाएंगे।
4. मंगल नेक का असर : मंगल नेक न्यायप्रिय और विनम्र होता है। मंगल नेक सेनापति स्वभाव का है जो जातक को साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता। मंगल अच्छाई पर चलने वाला है ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है। सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं। दसवें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है। ऐसा व्यक्ति यदि रोज हनुमान चालीसा का पाठ करता रहे तो दुनिया में ऐसा कोई नहीं जो उसका बाल भी बांका कर दें। बल्कि ऐसे व्यक्ति के खिलाफ बुरा सोचने और करने वाले स्वत: ही बर्बाद हो जाते हैं।
5. मंगल बद का असर : बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है। भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है। बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं। पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है। एक आँख से दिखना बंद हो सकता है। शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं। रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है। चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है। किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है। सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं। मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है। मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता। मंगल यदि ज्यादा बद है तो व्यक्ति अपराधी होगा।
मंगल बद या मांगलिक व्यक्ति जुबान के कड़वे होते हैं। बहुतों को उनकी बोली अच्छी नहीं लगती। उनकी भाषा से लोगों का दिल दुखता है। ऐसे लोग स्वतंत्र विचारधारा के होते हैं। मंगल बद वाले किसी का जल्दी बुरा नहीं करते लेकिन बुरा करने पर आए तो फिर किसी को छोड़ते भी नहीं है। यह लोगों में एकदम से घुलमिल नहीं पाते। ये खुद को ही ज्ञान, ध्यानी और शक्तिशाली समझते हैं। क्रोध इनके स्वभाव का मूल हिस्सा होता है। अपनी बात को मनवाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अधिकतर मौके पर देखा गया है कि इनके व्यवहार और सिद्धांत के चलते ये जीवन में बहुत कम सफल हो पाते हैं।
6. करें ये उपाय तो होगा मंगल नेक : मंगल बद वाले व्यक्ति को आंखों में सफेद या काला सुरमा लगाते रहना चाहिए और जीवन पर्यंत तक हनुमानजी की शरण में रहकर उत्तम चरित्र का परिचय देना चाहिए। यही एक मात्र उपाय है जोकि इन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफल बना सकता है अन्यथा इनके सिर पर हरदम जिन्न ही सवार रहेगा और जिन्न को सजा देने के लिए शनि, राहु और केतु हरदम सक्रिय रहते हैं।